गुस्ताखियां तो देखिए..!
अंधेरी रात में जुगनुओं को
खफा कर बैठे।
हाल – ए – दिल
जो कभी कहा नहीं किसी से
कल रात
हम उसे जुबां कर बैठे।।
जरा सी रोशनी की गुजारिश
क्या की हमने
ये गुस्ताख..
हमारा ही राज हमसे
बयां कर बैठे।
और……!
बड़ी मुश्किल से मुकम्मल किया
ख्वाब हमने ….
खलल डालकर
ये बेवजह हमसे
दगा कर बैठे।।
गुस्ताखियां तो देखिए…!
~ नम्रता शुक्ला
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Bht badhiya hai