देखें तुझे देकर, मैने सपने अपने रे

देखें तुझे देकर, मैने सपने अपने रे,
पाया ना मैने वो, जो चाहा मन ने रेे,
अब कैसे तुझे मै समझाऊं रे,
मेरे प्यारे पिया, अंखियां यूं रो-रो पड़े..

चला गया वो सावन रे, मेरी आंखो से रूठा,
चला गया वो भादौ भी, तेरी राहों में छूटा,
अब कैसे तुझे मै समझाऊं रे,
मेरे प्यारे पिया, अंखियां यूं रो-रो पड़े…

वो तान जो मुरली की, तूने हमें सुनाई थी,
वो प्रीत जो अधरो की, तूने हमें बताई थी,
अब कैसे तुझे मै समझाऊं रे,
मेरे सवारियां, सखियां यूं रो-रो पड़े…

हे! कान्हा तूने हमको, जो रास दिखाया है,
वो रास नहीं प्यारे, तेरी प्रेम की छाया है,
अब लौट के आजा, कान्हा मेरे ,
मेरे सवारियां, सखियां यूं रो-रो पड़े…

– प्रयास गुप्ता।।


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