aanshu shayari in hindi आंसू शायरी हिंदी में
aanshu shayari in hindi दिल परेशान हो या कोई बात दिल पर लगजाये तब असा होता है की हमे रोना आता है कोई भी बात हो जाये आंसू निकल ही आते है अंशु ख़ुशी में भी आ जाते है गुम में भी आ जाते है किसी को परेशान देख कर भी कभी कभी रोना आ जाता है आंसुओ की को पहचान नहीं होती कोई नहीं पहचानता की आंसू कैसे है बस जिसके होते है वो ही जनता है दोस्तों ये आंसू शायरी है काफी बार देखा गया है और अक्सर ऐसा होता भी है की हमे किसी न किसी परेशानी से गुज़रना पड़ जाता है उस वक़्त हम बहुत परेशान भी होते है अपने आप को बहुत अकेला महसूस करते है कोई बात दिल पर लग जाती है दिल पर लगी बाते जब तक आंसू नहीं निकलते दिल हल्का नहीं होता कुछ लोग अपने आंशुओं को शायरी के रंग में रंग लेते है ये आंसू शायरी इस लिए ही होती है
aansu shayari in hindi dil pareshan ho ya koi baad dil par lagjaye tab asa hota hai ki hume rona aata hai koi bhi bat ho jaye aansu nikal hee ate hai aansu khushi me bhi aa jate hai gume me bhi aa jate hai kisi ko pareshan dekh kar bhi kabhi kabhi rona aa jata hai aansu ki oi pehchan nahi hoti koi nahi pehchanta ki aansu kese hai bas jiske hote hai wo hee janta hai kese hai dosto ye aansu shayari hai kafi bar dekha gaya hai aur aksar asa hota bhi hai ki hume kisi na kisi pareshani se guzarna pad jata hai us waqt hum bahut pareshan bhi hote hai aap aap ko bahut akela mehsus karte hai koi bat dil par lag jati hai dil par lagi bat jab tak aansu nahi nikalte dil halka nahi hota kuch log apne aansuo ko shayari ke rang me rang lete hai ye aansu shayari is liye hee hoti hai
Bast Aanshu shayari in hindi
वैसे तो एक आँसू ही बहा के मुझे ले जाए,
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता।
राह तकते हुए जब थक गई मेरी आँखें,
फिर तुझे ढूढ़ने मेरी आँख के आँसू निकले।
मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसात देखी है,
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है।
आँखों में आँसुओं की लकीर बन गयी,
जैसी चाही थी वैसी ही तकदीर बन गयी,
हमने तो चलाई थीं रेत में उँगलियाँ,
गौर से देखा तो आपकी तस्वीर बन गयी।
प्यास इतनी है मेरी रूह की गहराई में,
अश्क़ गिरता है तो दामन को जला देता है।
कम नहीं हैं आँसू मेरी आँखों में मगर,
रोता नहीं कि उनमें उसकी तस्वीर दिखती है।
जिसे ले गई है अभी हवा
वो वरक़ था दिल की किताब का,
कहीं आँसुओं से मिटा हुआ
कहीं आँसुओं से लिखा हुआ।
हँसने की जुस्तजू में दबाया जो दर्द को,
आँसू हमारी आँख में पत्थर के हो गए।
सोचा ही नहीं था ज़िन्दगी में
ऐसे भी फसाने होंगे,
रोना भी जरुरी होगा
आँसू भी छुपाने होंगे।
दो चार आँसू ही आते हैं पलकों के किनारे पे,
वर्ना आँखों का समंदर गहरा बहुत है।
वो अश्क़ बन के मेरी चश्म-ए-तर में रहता है,
अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है।
आँसू भी मेरी आँख के अब खुश्क हो गए,
तू ने मेरे खुलूस की कीमत भी छीन ली।
बारिशें हो ही जाती हैं शहर में फ़राज़,
कभी बादलों से तो कभी आँखों से।
हमें आँसुओं से ज़ख्मों को धोना नहीं आता,
मिलती है ख़ुशी तो उसे खोना नहीं आता,
सह लेते हैं हर ग़म को जब हँसकर हम,
तो लोग कहते है कि हमें रोना नहीं आता।
इनको न कभी आँख से गिरने देता हूँ,
उनको लगते हैं मेरी आँख में प्यारे आँसू।
वापसी का सफ़र अब न मुमकिन होगा,
हम निकल चुके हैं आँख से आँसू की तरह।
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आँसू,
अभी छेड़ी कहाँ है दास्तान-ए-ज़िन्दगी मैंने।
बहुत चाहा उसको जिसे हम पा न सके,
ख्यालों में किसी और को ला न सके,
उसको देख के आँसू तो पोंछ लिए,
लेकिन किसी और को देख के मुस्कुरा न सके,
आंसू शायरी हिंदी में
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क़.
यूँ कोई दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े।
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे,
जैसे कोई गम छुपा रहे थे,
बारिश में भीग के आये थे मिलने,
शायद वो आँसू छुपा रहे थे।
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाकात हुई,
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई,
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से,
मेरी भी आँखों से आँसुओं की बरसात हुई।
पलकों से अश्क़ गिरा है तो उसे गिरने दो,
सीने में कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।
वापसी का सफर अब मुमकिन न होगा।
हम तो निकल चुके हैं आँख से आँसू की तरह।
मुझको रुला कर दिल उसका रोया तो होगा,
उसकी आँखों में भी आँसू आया तो होगा,
अगर न किया कुछ भी हासिल हमने प्यार में,
कुछ न कुछ उसने भी खोया तो होगा।
अश्क़ से आज आँखों में क्यों हैं आये हुए,
गुजर गया है ज़माना तुझे भुलाये हुए।
तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको,
आँसू तो रोज गिर कर सूख जाते हैं।
बारिशें कुछ इस तरह से होती रहीं मुझ पे,
ख्वाहिशें सूखती रहीं और पलकें भीगती रहीं।
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
तमाम उम्र जिन आँखों को झील लिखते रहे।
पलकों के बंध तोड़ के दामन पे गिर गया,
एक अश्क़ मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया।
तुम्हारी याद में आँसू बहाना
यूँ भी जरूरी है,
रुके दरिया के पानी को तो
प्यासा भी नहीं छूता।
प्यार कर के कोई जताए ये जरूरी तो नहीं,
याद कर के कोई बताये ये जरूरी तो नहीं,
रोने वाले तो दिल में ही रो लेते हैं अपने,
कभी आँख में आँसू आये जरूरी तो नहीं।
जो आँसू दिल में गिरते हैं
वो आँखों में नहीं होते,
बहुत से हर्फ़ ऐसे होते हैं
जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते,
किताबों में लिखे जाते हैं
दुनिया भर के अफ़साने,
मगर जिन में हकीकत हो
किताबों में नहीं रहते।
न जाने कौन सा आँसू मेरा राज़ खोल दे,
हम इस ख़्याल से नजरें झुकाए बैठे हैं।
फिर आज आँसुओं में नहाई हुई है रात,
शायद हमारी तरह ही सताई हुई है रात।
इतना तो ज़िन्दगी में किसी की खलल पड़े,
हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े,
मुद्दत के बाद उसने जो की प्यार की निगाह,
जी खुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े।
जो आँसू आँख से अचानक निकल पड़ें,
वजह उनकी ज़बान से बयां नहीं होती।
देगा अगर दर्द तो खुद भी डूबेगा,
वो एक शख्स जो आँखों में रहता है।
रोने वाले तो दिल में ही रो लेते हैं,
आँखों में आँसू आयें ये ज़रूरी तो नहीं।
Rone wali dil ki shayari
घास में जज़्ब हुए होंगे ज़मीं के आँसू
पाँव रखता हूँ तो हल्की सी नमी लगती है।
उसने बस यूँ ही उदासी का सबब पूछा था,
मेरी आँखों में सिमट आये समंदर सारे।
आँसू मेरे देखकर तू परेशान क्यों है ऐ दोस्त,
ये वो अल्फाज हैं जो जुबान तक आ न सके।
इनको न कभी आँख से गिरने देता हूँ मैं,
उनको लगते हैं मेरी आँख में प्यारे आँसू।
मेरे दिल में न आओ वरना डूब जाओगे,
ग़म के आँसू के सिवा कुछ नहीं इसके अंदर,
अगर एक बार रिसने लगा जो पानी,
तो कम पड़ जायेगा भरने के लिए समंदर।
सलीका हो अगर भीगी हुई आँखों को पढ़ने का,
तो फिर बहते हुए आँसू भी अक्सर बात करते हैं।
मेरा शहर तो बारिशों का घर ठहरा,
यहाँ आँख हों या बादल बहुत बरसते हैं
जाहिर नहीं करता पर मैं रोज रोता हूँ,
शहर का दरिया मेरे घर से निकलता है।
ये तड़प ये आंसू मेरे रातों के साथी है…
बस तेरी यादें मेरे जीने के लिए काफी है।
वो अश्क बन के मेरी चश्म-ए-तर में रहता है,
अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है।
काश बनाने वाले ने हमको आँसू बनाया होता,
और मेहबूब की आँखों में बसाया होता,
जब गिरते उनकी आँखों से उनकी ही गोद में,
तो मरने का मज़ा कुछ अलग ही आया होता।
ये तड़प ये आंसू मेरे रातों के साथी है…
बस तेरी यादें मेरे जीने के लिए काफी है।
वो अश्क बन के मेरी चश्म-ए-तर में रहता है,
अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है।
काश बनाने वाले ने हमको आँसू बनाया होता,
और मेहबूब की आँखों में बसाया होता,
जब गिरते उनकी आँखों से उनकी ही गोद में,
तो मरने का मज़ा कुछ अलग ही आया होता।
कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोए,
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए,
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा,
जितना लिख के खुश हुए उस से ज़यादा मिटा के रोए।
आँसू आ जाते हैं आँखों में,
पर लबों पे हसी लानी पड़ती है,
यह मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
जिससे करते है उसी से छुपानी पड़ती है।
आंखों में मेरे इस कदर छाए रहे आंसू,
कि आईने में अपनी ही सूरत नहीं मिली।
जिनकी किस्मत में लिखा हो रोना,
वह मुस्कुरा भी दे तो आंसू निकल आते हैं।
मेरी आँखों में आसूं तुझसे हमदम क्या कहूं क्या है,
ठहर जाये तो अंगारा है, बह जाये तो दरिया है।
भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है,
स्याही में थोड़ी सी मेरे अश्कों की मिलावट है।
मेरी आंखों के आंसू कह रहे हैं मुझसे,
अब दर्द इतना है कि सहा नहीं जाता,
मत रोक पलको से खुल कर छलकने दे,
अब इन आँखों में थम कर रहा नहीं जाता।
होंठो ने मुस्कुराने से मना कर दिया..
आंसुओं ने बह जाने से मना कर दिया..
एक बार जो दिल टूटा प्यार में..
फिर इस दिल ने दिल लगाने से मना कर दिया..
वही हम थे कि रोते हुओं को हंसा देते थे,
वही हम हैं कि थमता नहीं एक आँसू अपना।
मुस्कुराने की आरजू में छुपाया जो दर्द को,
अश्क हमारी आंखों में पत्थर के हो गए।
आँखों में आंसुओ को… उभरने ना दिया,
मिट्टी के मोतियों को बिखरने ना दिया,
जिन राहों पर पड़े थे तेरे कदमो के निशान,
उन राहों से किसी को गुजरने ना दिया।
खुद के लिए इक सज़ा मुकर्रर कर ली मैंने !
तेरी खुशियो की खातिर तुझसे दूरियां चुन ली मैंने
खुद के लिए इक सज़ा मुकर्रर कर ली मैंने !
तेरी खुशियो की खातिर तुझसे दूरियां चुन ली मैंने
खुद के लिए इक सज़ा मुकर्रर कर ली मैंने !
तेरी खुशियो की खातिर तुझसे दूरियां चुन ली मैंने
इस जहाँ में किसी से कभी प्यार मत करना,
अपने कीमती आँसू इस तरह बर्बाद मत करना,
कांटे तो फिर भी दामन थाम लेते हैं,
फूलों पर कभी तुम ऐतबार मत करना।
सदफ की क्या हकीकत है, अगर उसमें न हो गौहर,
न क्यों कर आबरू हो आंख की मौकूफ आंसू पर।
बह जाती काश यादें भी आँसुओ के साथ,
तो एक दिन हम भी रो लेते तसल्ली से बैठ कर।
नींद मे भी बहने लगते है हमारे आँख़ों से आंसू !
जब कभी तुम ख़्वाबों मे मेरा हाथ छोंड़ देते हो !
हमें मालूम है तुमने देखी हैं बारिश की बूँदें,
मगर मेरी आँखों से ये सावन आज भी हार जाता है।
आया नहीं था कभी मेरी आँख से एक अश्क भी
मोहब्बत क्या हुई अश्कों का सैलाब आ गया
आया नहीं था कभी मेरी आँख से एक अश्क भी
मोहब्बत क्या हुई अश्कों का सैलाब आ गया
क्या लिखूं हकीकत-ए-दिल आरज़ू बेहोस है,
खत पर आँसू बह रहे हैं कलम खामोश है।
जज़्बातों के खेल में मुहब्बत के सबूत न मांग हमसे
मैंने वो आंसू भी बहाए हैं जो मेरी आंखों में न थे |
अश्क बन कर आँखों से बहते हैं !
बहती आँखों से उनका दीदार करते हैं !
माना की ज़िंदगी मे उन्हे पा नही सकते !
फिर भी हम उनसे बहुत प्यार करते हैं !!
अश्क बन कर आँखों से बहते हैं !
बहती आँखों से उनका दीदार करते हैं !
माना की ज़िंदगी मे उन्हे पा नही सकते !
फिर भी हम उनसे बहुत प्यार करते हैं !!
दुपट्टे से अपने वो पोंछता है आँसू मेरे,
रोने का भी अपना कुछ अलग ही मज़ा है
छलकते आंसुओं को पलकों में छुपा नहीं सकता,
मेरे कदम रोकते हैं मुझको उसके पास जा नहीं सकता,
न जाने किसकी गलती थी कोई रूठ गया था मुझसे,
आज उसे मनाने की ख्वाहिश तो है बहुत…
पर दिल मजबूर है इतना कि उसे मना नहीं सकता।
वो आती नही पर निसानी भेज देती हैं..
ख्वाबो में दास्तां पुरानी भेज देती हैं..
कितने मिठे है उनके यादो के मंजर..
कभी-कभी आखो में पानी भेज देती हैं..।
चाहत वो नहीं जो जान देती है,
चाहत वो नहीं जो मुस्कान देती है,
ऐ दोस्त चाहत तो वो है,
जो पानी में गिरा आँसू पहचान लेती है।
कोई दुःख बसा है उनकी आँखों में शायद,
या मुझे खुद ही वहम सा हुआ है शायद,
जब पूछा क्या भूल गए हो हमे तुम,
पोंछ कर आँसू अपनी आँख से उसने भी कहा शायद।
कोई दुःख बसा है उनकी आँखों में शायद,
या मुझे खुद ही वहम सा हुआ है शायद,
जब पूछा क्या भूल गए हो हमे तुम,
पोंछ कर आँसू अपनी आँख से उसने भी कहा शायद।
दिल में हर राज़ दबा कर रखते हैं,
होंठों पे मुस्कुराहट सज़ा के रखते हैं,
यह दुनिया सिर्फ ख़ुशी में साथ देती है,
इसलिए हम अपने आँसुओं को छुपा कर रखते हैं।
आंसुओसे पलके भिगा लेता हूँ !
याद तेरी आती है तो रो लेता हूँ !
सोचा की भुलादु तुझे मगर !
हर बार फ़ैसला बदल देता हूँ !!
वो मंजर ही मोहब्बत में बड़ा दिलकश गुजरा,
किसी ने हाल ही पूछा था और आँखें भर आयी।
सोचता हूँ तो छलक उठती हैं मेरी आँखें
तेरे बारे में न सोचूँ तो अकेला हो जाऊँ।
जो आंसू न होते आँखों में,
तो ऑंखें इतनी खूबसूरत न होती,
जो दर्द न होता इस दिल में,
तो ख़ुशी की कीमत पता न होती,
जो बेवफाई न की होती वक़्त ने हमसे,
तो जुदाई में जीने की आदत न होती।
होंठो की जुबान यह आँसू कहते है,
जो चुप रहते है फिर भी बहते है,
और इन आँसू की किस्मत तो देखिये,
यह उनके लिए बहते है जो इन आँखों में रहते है।
काँटों की सेज पर चलने की हमें अब आदत हो गई है,
न रोये कोई हमे देख कर, हमें अब आँसू बहाने की आदत हो गई है।
लफ्ज़ बड़े ही सदे हैं पर बहुत ही प्यारे हैं,
तुम किसी और के हो गए और हम आज तक तुम्हारे हैं।
मुझको ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं,
फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई गिला नहीं,
और कितने आंसू बहाऊँ मैं उसके लिए,
जिसको खुदा ने मेरे नसीब में लिखा नहीं।
जब कोई मजबूरी में जुदा होता है,
वोह ज़रूरी नहीं के बेवफा होता है,
आपकी आँखों में दे कर वह आँसू,
आपसे भी ज़्यादा अकेले में रोता है।
भर आयी मेरी आँखे जब उसका नाम आया,
इश्क नाकाम सही फिर भी बहुत काम आया,
हमने मोहब्बत में ऐसी भी गुजारी कई रातें,
जब तक आँसू न बहे दिल को आराम न आया।
अगर आंसू दिखते पहाड़ों के तो उन्हें कोई तोड़ता ही नहीं,
अगर परख होती तुम्हे सच्चे प्यार की तुम हमारा दिल तोड़ते ही नहीं।
हमारे आंखो ने कभी आंसू ना देखे थे ,
और तुम आये हमारी जिंदगी में आंसुओं की बरसात हो गई।
एक दिन करोगे याद प्यार के ज़माने को,
जब हम चले जाएँगे ना वापिस आने को,
जब महफ़िल मे चलेगा ज़िक्र हमारा तो,
तन्हाई ढूँढोगे तुम भी आँसू बहाने को।
तुम मुझे हँसी-हँसी में खो तो दोगे,
पर याद रखना फिर आंसुओं में ढ़ूंढ़ोगे।
अपने ही हाथों से जला दिया अपना घर,
कहना उससे और एक काम तेरा कर दिया।
दिले नादान को समझाए कैसे मोहब्बत में ये तो होना ही था,
तूने दिल लगाया अमीरों से आंखो को तो गीला होना ही था
चलता फिरता बेजान जिस्म है मेरा,
ना जाने तेरे याद में इन आंखो से आंसू कहां से निकाल जाते हैं।
कुछ अंदाज़ मोहब्बत के भी होते हैं,
जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं,
गम में ही आँसू निकलें जरुरी नहीं,
सैलाब मुस्कुराती आँखों में भी होते हैं।