कल तक जहां मैं थी,
आज खड़ी वो होगी।
हाथ में तुम्हारे घड़ी तो ना होगी,
उसके घुँघराले बालों में,
नजरें सदी यूं होगी।
पर मेरी लटों की फुहार,
वहाँ पड़ी तो ना होगी।
कैसे छुआ होगा उन हाथो को तुमने,
जिनमें मेरे प्यार की हथकड़ी ना होगी।
बेशक खूबसूरत होगी वो,
जिस पर नजरें तुम्हारी पड़ी होगी
बेचैन हूं सोचकर
कहीं आंख तुम्हारी लड़ी तो ना होगी
बातों ही बातों में
बात बड़ी तो ना होगी
तुम्हारे अधरों की मुस्कान
कहीं चढ़ी तो ना होगी
कहा नहीं कुछ, न कुछ सुना मैंने
बस एहसास हो गया
उसके कदमों की आहट से
चैन मेरा यूं खो गया
आँखों में पानी की वजह
मैं समझ ना पाई
जाने क्यों मैं तुमसे
अब तक प्रीत निभाई।
𝐈𝐫𝐫𝐞𝐬𝐢𝐬𝐭𝐢𝐛𝐥𝐞!…!🙌🌼💚