Beauty Shayari For Beautiful Girl/ आज हम आपके लिए लाये है ब्यूटी शायरी दोस्तों आज की पोस्ट में हम पढ़ेंगे ब्यूटी के कलेक्शन को Shayari For Beautiful Girl ये कलेक्शन हम खास अपने उन दोस्तों के लिए लाये है जो हमारे दोस्त अपनी प्रेमिका से बहुत प्यार करते है और उनको अपनी प्रेमिका से अच्छा कोई नहीं लगता और जो हमारे दोस्त अपनी प्रेमिका की तारीफ करने के लिए बहान ढूंढ़ते है और वो परेशांन रहते है कही से कुछ ऐसा मिल जाये जिस से हम अपनी प्रेमिका की तारीफ कर सके तो दोस्तों अब आपको परेशां होने की कोई ज़रूरत नहीं दोस्तों आज आपका ये परेशानी ख़त्म हो जायगी आज से आप को परेशां होने की ज़रूरत नहीं आप जिस तरह से चाहो अपनी प्रेमिका की तारीफ कार सकते हो और उसके लिए आपको कही नहीं जाना है आप को अपना मोबाइल उठाना है और हमारे पेज पर सर्च करना है जिस टाइप की भी आप शायरी कहते हो आपको यहाँ पर बहुत आसानी से सब मिल जायगा और आप के लिए आज ये ब्यूटी शायरी हम लाये है आप इस से अपनी प्रेमिका की तारीफ में चार चाँद लगा सकते है आप की प्रेमिका ख़ुशी से झूम उठेगी और आपको बहुत प्यार करेगी और अगर आप और भी किसी तरह की शायरी चाहते है जैसे/ love shayari / grilfriend shayari/dard shayari /maut shayari /dosti shayari /life se related shayari/life shayari/ Romantic and sexy shayari/
ये चाँद सा रोशन चेहरा जुल्फों का रंग सुनहरा, ये झील सी नीली आंखे 👀 कोई राज हैं इनमे गहरा, तारीफ़ करू क्या उसकी जिसने तुम्हे बनाया।
आईये शुरुआत अब करते हैं आज के इस पोस्ट की और शेयर करते हैं अपनी मासूका को तारीफ पर बने शेर-ओ-शायरी को फेसबुक और व्हाट्सप्प पर
Beauty Shayari For Beautiful Girl
ये कह सितमगर ने ज़ुल्फ़ों को झटका,
बहुत दिन से दुनिया परेशाँ नहीं है।
हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो,
गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया।
रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है
होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा
अभी इस तरफ़ न निगाह कर
मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना
तुझे आईने में उतार लूँ।
उसके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत,
मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिक़ी से पहले।
कसा हुआ तीर हुस्न का, ज़रा संभल के रहियेगा,
नजर नजर को मारेगी, तो क़ातिल हमें ना कहियेगा
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें
ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है
Beauty Shayari For Beautiful Girl
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,
फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
चाल मस्त, नजर मस्त, अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को।
पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए,
हाय ज़ालिम तेरा अंदाज़-ए-करम क्या कहिए।
जलवों की साजिशों को न रखो हिजाब में,
ये बिजलियाँ हैं रुक न सकेंगीं नक़ाब में।
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की,
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयीं
चाँद सा जब कहा तो वो गिला करने लगे,
बोले… चाँद कहिये न, चाँद सा क्या है।
रुके तो चाँद, चले तो हवाओं जैसा है,
वो शख्स धूप में भी छाँव जैसा है
मेरी तस्बीह के दाने हैं
भोली सूरतों वाले,
निगाहों में फिराता हूँ
इबादत होती जाती है
हम हसीन होने का दावा तो नहीं करते मगर,
आँख भर देखें जिसे उलझन में डाल देते हैं
कुछ मौसम रंगीन है कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
Beauty Shayari For Beautiful Girl
अदा आई, जफा आई, गुरूर आया, इताब आया,
हजारों आफतें लेकर हसीनों का शबाब आया
मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब, तेरा ही शबाब है
गुजर गए हैं बहुत दिन रफ़ाक़त-ए-शब में,
इक उम्र हो गयी चेहरा वो चाँद सा देखे,
तेरे सिवा भी कई रंग खुश नज़र थे मगर,
जो तुझ को देख चुका हो वो और क्या देखे।
क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है?
अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो,
जुल्फें संवार कर कभी जुल्फें बिगाड़ कर
जल्वे मचल पड़े तो सहर का गुमाँ हुआ,
ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो सियाह रात हो गई।
इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको,
कहते हैं लग जाती है अपनों की नजर भी।
ये उड़ी-उड़ी सी रंगत ये खुले-खुले से गेसू,
तेरी सुबह कह रही है तेरी रात का फसाना
ग़म-ए-ज़माना तेरी ज़ुल्मतें ही क्या कम थीं,
कि बढ़ चले हैं अब इन गेसुओं के भी साए
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है
ब्यूटी शायरी फॉर ब्यूटीफुल गर्ल
बला है, क़हर है, आफत है, फ़ित्ना है, क़यामत है
हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है
मैं तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर,
ना जाने हर रोज आईने पर क्या गुजरती होगी
वो कहते हैं हम उनकी झूठी तारीफ़ करते हैं,
ऐ ख़ुदा एक दिन आईने को भी ज़ुबान दे दे
हैं होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है
अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला।
उनको सोते हुए देखा था दमे-सुबह कभी,
क्या बताऊं जो इन आँखों ने शमां देखा था।
उस शख्स में बात ही कुछ ऐसी थी,
हम अगर दिल न देते तो जान चली जाती।
इलाही खैर हो उलझन पे उलझन बढ़ती जाती है,
न मेरा दम न उनके गेसुओं का खम निकलता है।
क़यामत ही न हो जाये जो पर्दे से निकल आओ,
तुम्हारे मुँह छुपाने में तो ये आलम गुजरता है।
बड़ा ही दिलकश अंदाज है तुम्हारा,
जी तो करता है कि फना हो जाऊं।
साथ शोखी के कुछ हिजाब भी है,
इस अदा का कहीं जवाब भी है
एक तो हुस्न बला उस पे बनावट आफत,
घर बिगाड़ेंगे हजारों के संवरने वाले
उस हुस्न-ए-बेमिसाल को देखा न आज तक,
जिस के तसुव्वरात ने जीना सिखा दिया
आज उसकी एक नजर पर मुझे मर जाने दो,
उसने लोगों बड़ी मुश्किल से इधर देखा है,
क्या गलत है जो मैं दीवाना हुआ सच कहना,
मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है
तेरे हुस्न को किसी परदे की ज़रूरत ही क्या है,
कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद
ये बेख्याली, ये लिबास, ये गेसू खुले हुए,
सीखी कहाँ से तुमने ये अदाएं नई नई
ब्यूटी शायरी फॉर ब्यूटीफुल गर्ल
अगर होती नहीं वफ़ा तो जफा ही किया करो,
तुम भी तो कोई रस्म-ए-मोहब्बत अदा करो,
हम तुम पे मर मिटे तो ये किसका कसूर है,
आईना ले के हाथ में खुद फैसला करो
ग़ुस्से में जो निखरा है, उस हुस्न की क्या बात,
कुछ देर अभी मुझसे तुम यूँ ही ख़फ़ा रहना।
क्या लिखूं तेरी तारीफ-ए-सूरत में यार,
अलफ़ाज़ कम पड़ रहे हैं तेरी मासूमियत देखकर
आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए,
सिर्फ उसकी एक नजर से ही घायल हो गए
रुख से पर्दा हटा तो, हुस्न बेनकाब हो गया,
उनसे मिली नज़र तो, दिल बेकरार हो गया
रुख से पर्दा हटा तो, हुस्न बेनकाब हो गया,
उनसे मिली नज़र तो, दिल बेकरार हो गया।
वो मुझसे रोज़ कहती थी मुझे तुम चाँद ला कर दो,
उसे एक आईना दे कर अकेला छोड़ आया हूँ।
उफ्फ ये नज़ाकत ये शोखियाँ ये तकल्लुफ़,
कहीं तू उर्दू का कोई हसीन लफ्ज़ तो नहीं
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है,
तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,
खूबसूरती की इंतेहा है तू…
तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है
गिरता जाता है चहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्ता,
निकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता
हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर,
कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
मेरे हमदम तुम्हें बड़ी फुर्सत में बनाया है,
जुल्फें ये तुम्हारी बादल की याद दिला दें,
नज़र भर देख लो जो किसी को,
नेक दिल इंसान की भी नियत बिगड़ जाए।
हटा के ज़ुल्फ़ चहरे से,
न तुम छत पर शाम को जाना,
कहीं कोई ईद ना करले सनम,
अभी रमज़ान बांकी है