Best Shayari On Beauty / बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी दोस्तों ब्यूटी सबको पसंद है और सब को ही चाहिए होती है इस लिए आज हम कुछ बास्त ब्यूटी शायरी लाये है यह ब्यूटी शायरी हमने आपने दोस्तों के लिए जमा की हुई है हमारी इस पोस्ट में बहुत ही बेहतरीन ब्यूटी शायरिया है कुछ हमारे दोस्त है जो अपनी ग्रिल फ्रेंड या अपने बॉय फ्रेंड की तारीफ करने के लिए कुछ न कुछ सर्च करते रहते है क्यू की उनको अपने महब्बूब की तारीफ करना ाचा लगता है इस से वो अपने महब्बूब को अपना प्यार दिखते है और उनको उस में ही ख़ुशी मिलती है कुछ ऐसे ही अपने दोस्तों के लिए आज हम ये शायरी का ला जवाब कलेक्शन लेकर आये है जिस हमारे दोस्तों को बहुत आसानी हो जायगी अपने प्यार को जताने में और अपनी मोहब्बत की तारीफ करने में और जब किसी से मोहब्बत हो जाती है तो वो तो सब से ही ज़ादा प्यार हो खूबसूरत लगता ही है इस लिए आपको इस से ज़ादा तारीफ करने वाली शायरिया कहा मिल सकती है हम आज आपका इंतज़ार और आपकी परेशानी को एक साइड रखते है आज से आप हमारी इस साइट पर आ कर कुछ भी शायरी सर्च करो आप को यहाँ पर सब तरह की शायरिया मिल जायँगी और आप अभी हमारी इस बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी से अपने मेहबूब की तारीफ में चार चाँद लगाइये और अपने प्यार को खुस रखिये और ऐसे ही कर भी शायरिया है हमारी साइट पर चलो फिर एक नज़र डालते है बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी पर
Best Shayari On Beauty / बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी
रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है।
होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
अभी इस तरफ़ न निगाह कर
मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना
तुझे आईने में उतार लूँ।
न
उसके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत,
मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिक़ी से पहले।
कसा हुआ तीर हुस्न का, ज़रा संभल के रहियेगा,
नजर नजर को मारेगी, तो क़ातिल हमें ना कहियेगा।
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।
ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है।
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,
फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,
ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये।
चाल मस्त, नजर मस्त, अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को।
Best Shayari On Beauty / बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी
ये कह सितमगर ने ज़ुल्फ़ों को झटका,
बहुत दिन से दुनिया परेशाँ नहीं है।
हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो,
गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया।
पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए,
हाय ज़ालिम तेरा अंदाज़-ए-करम क्या कहिए।
जलवों की साजिशों को न रखो हिजाब में,
ये बिजलियाँ हैं रुक न सकेंगीं नक़ाब में।
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की,
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयीं।
चाँद सा जब कहा तो वो गिला करने लगे,
बोले… चाँद कहिये न, चाँद सा क्या है।
रुके तो चाँद, चले तो हवाओं जैसा है,
वो शख्स धूप में भी छाँव जैसा है।
मेरी तस्बीह के दाने हैं
भोली सूरतों वाले,
निगाहों में फिराता हूँ
इबादत होती जाती है।
हम हसीन होने का दावा तो नहीं करते मगर,
आँख भर देखें जिसे उलझन में डाल देते हैं।
कुछ मौसम रंगीन है कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
Best Shayari On Beauty / बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी
अदा आई, जफा आई, गुरूर आया, इताब आया,
हजारों आफतें लेकर हसीनों का शबाब आया।
मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब, तेरा ही शबाब है।
गुजर गए हैं बहुत दिन रफ़ाक़त-ए-शब में,
इक उम्र हो गयी चेहरा वो चाँद सा देखे,
तेरे सिवा भी कई रंग खुश नज़र थे मगर,
जो तुझ को देख चुका हो वो और क्या देखे।
क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है?
इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको,
कहते हैं लग जाती है अपनों की नजर भी।
जल्वे मचल पड़े तो सहर का गुमाँ हुआ,
ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो सियाह रात हो गई।
अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो,
जुल्फें संवार कर कभी जुल्फें बिगाड़ कर।
ये उड़ी-उड़ी सी रंगत ये खुले-खुले से गेसू,
तेरी सुबह कह रही है तेरी रात का फसाना।
ग़म-ए-ज़माना तेरी ज़ुल्मतें ही क्या कम थीं,
कि बढ़ चले हैं अब इन गेसुओं के भी साए।
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।
Best Shayari On Beauty / बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी
बला है, क़हर है, आफत है, फ़ित्ना है, क़यामत है
हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है।
मैं तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर,
ना जाने हर रोज आईने पर क्या गुजरती होगी।
वो कहते हैं हम उनकी झूठी तारीफ़ करते हैं,
ऐ ख़ुदा एक दिन आईने को भी ज़ुबान दे दे।
हैं होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है।
अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला।
उनको सोते हुए देखा था दमे-सुबह कभी,
क्या बताऊं जो इन आँखों ने शमां देखा था।
उस शख्स में बात ही कुछ ऐसी थी,
हम अगर दिल न देते तो जान चली जाती।
इलाही खैर हो उलझन पे उलझन बढ़ती जाती है,
न मेरा दम न उनके गेसुओं का खम निकलता है।
क़यामत ही न हो जाये जो पर्दे से निकल आओ,
तुम्हारे मुँह छुपाने में तो ये आलम गुजरता है।
बड़ा ही दिलकश अंदाज है तुम्हारा,
जी तो करता है कि फना हो जाऊं।
साथ शोखी के कुछ हिजाब भी है,
इस अदा का कहीं जवाब भी है?
Pao Utha Kar Gale Milte Hai
एक तो हुस्न बला उस पे बनावट आफत,
घर बिगाड़ेंगे हजारों के संवरने वाले।
उस हुस्न-ए-बेमिसाल को देखा न आज तक,
जिस के तसुव्वरात ने जीना सिखा दिया।
आज उसकी एक नजर पर मुझे मर जाने दो,
उसने लोगों बड़ी मुश्किल से इधर देखा है,
क्या गलत है जो मैं दीवाना हुआ सच कहना,
मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है।
तेरे हुस्न को किसी परदे की ज़रूरत ही क्या है,
कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।
ये बेख्याली, ये लिबास, ये गेसू खुले हुए,
सीखी कहाँ से तुमने ये अदाएं नई नई।
अगर होती नहीं वफ़ा तो जफा ही किया करो,
तुम भी तो कोई रस्म-ए-मोहब्बत अदा करो,
हम तुम पे मर मिटे तो ये किसका कसूर है,
आईना ले के हाथ में खुद फैसला करो।
अभी इस तरफ़ न निगाह कर
मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना
तुझे आईने में उतार लूँ।
तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा।
खूबसूरती ना ही सूरत में होती है
और ना ही लिबास में,
ये तो महज़ जालिम नजरों का खेल है,
जिसे चाहे उसे हसीन बना दें।
दिल तो उनके सीने में भी मचलता होगा,
हुस्न भी सौ सौ रंग बदलता होगा,
उठती होंगी जब भी निगाहें उनकी,
खुदा भी गिर गिर के संभलता होगा।
Choti Bato Par Wo Nakhre Dikhati hai
कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
और भी इस जहां में आएंगे आशिक कितने,
उनकी आंखों को तुमको देखने की हसरत रहे।
इस जहां में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे,
सदियों तक इस जमीं पे तेरी कयामत रहे।
तुझको देखा… तो फिर… उसको ना देखा,
चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं,
उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
निगाह-यार पे पलकों की लगाम न हो,
बदन में दूर तलक ज़िन्दगी का नाम न हो,
वो बेनकाब फिरती है गली कूचों में,
तो कैसे शहर के लोगो में कतले आम न हो।
तुम हशीन हो के गुलाब जैसी हो,
बहुत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो,
होठों से लगाकर पी जाऊं तुम्हे,
सर से पाँव तक शराब जैसी हो।
आपके दीदार को निकल आये हैं तारे,
आपकी खुसबू से छा गयी हैं बहारें,
आपके साथ दिखते हैं कुछ ऐसे नज़ारे,
कि छुप-छुप के चाँद भी आप ही को निहारे।
सरक गया जब उसके रुख से पर्दा अचानक,
फ़रिश्ते भी कहने लगे काश हम इंसान होते
अच्छे लगे तुम सो हमने बता दिया,
नुकसान ये हुआ कि तुम मगरूर हो गए।
बेस्ट शायरी ओन ब्यूटी
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कारा देना,
हसीनो को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।
उम्र गुज़र गई पर कोई तुम सा नहीं मिला,
लोग यूँ ही कहते हैं कि खोजने से खुदा भी मिलता है।
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर,
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
कहाँ तक लिखूं एक ताज़ा शायरी आपके लिए,
आपके हुस्न में तो रोज एक नयी बात हुआ करती है।
तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है,
तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूँ।
आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
हुस्न वालो को संवरने की जरुरत क्या है,
वो ओ सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं।
अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला।
अदा परियों की सूरत हुर की आँखें गिज़लों की,
गरज मांगे की हर एक चीज़ इन् हुस्न वालों की।
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखूँ,
पानी भी जो देखे तुझे तो, प्यासा हो जाये।
Ek Line Me Kya Tareef Likhu
वो निगाहों से यूँ शरारत करते हैं,
अपनी अदा से भी कयामत करते हैं,
निगाहें उनकी भी चेहरे से हटती नहीं,
और वो हमारी नजरों से शिकायत करते हैं।
आँख नाज़ुक सी कलियाँ बात मिसरी की डालियाँ,
होंठ गंगा के साहिल ज़ुल्फ़ जन्नत की गलियां,
तेरी खातिर फरिस्ते सर पे इल्ज़ाम लेंगे,
हुस्न की बात चली सब तेरा नाम लेंगे।
तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो।
हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत,
वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी।
तैयार थे नमाज़ पे हम सुनके जिक्र-ए-हूर,
जलवा बुतों का देख के नीयत बदल गयी।
आइने में क्या चीज़ अभी देख रहे थे,
फिर कहते हो खुदा की कुदरत नहीं देखी।
ये दिल फरेब तबस्सुम ये मस्त नजर,
तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।
अंदाज अपना देखते हैं आईने में वो,
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो।
तेरी सादगी को निहारने का दिल करता है,
तमाम उम्र तेरे नाम करने को दिल करता है,
एक मुक़्क़मल शायरी है तू कुदरत की,
तुझे ग़ज़ल बना कर जुबां पर लाने को दिल करता है।
हटा कर ज़ुल्फ़ चेहरे से,
न छत पर शाम को जाना,
कहीं कोई ईद न कर ले,
अभी रमजान बाकी हैं।
Hata kar Zulfe Chehre Se
ऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा,
जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा,
कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे,
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे।
लौट जाती है उधर को भी नजर क्या कीजे,
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे।
होंठो पे अपने यूँ ना रखा करो तुम नादान कलम को,
वरना नज़्म फिर नशीली होकर लड़खड़ाती रहेगी।
अगर शरार है तो भड़के जो फूल है तो खिले,
तरह तरह की तलब तेरे रंग-ए-लब से है।
साहिबे अकाल हैं आप तो एक मसला हल कीजिये,
रुखे यार नहीं देखा क्या मेरी ईद हो गयी।
मस्ती निगाह ए नाज़ की कैफ ए शबाब में,
जैसे कोई शराब मिला दे शराब में।
खिलना कम कम कली ने सीखा है,
उस की आँखों की नीम-ख्वाबी से।
रुके तो चाँद चले तो हवाओं जैसा है,
वो शख्स धूप में भी छाव जैसा है।
रूठ कर कुछ और भी हसीन लगते हो,
बस यही सोच कर तुमको खफा रखा है।
दिल में शमा गयी हैं कयामत की शोखियाँ,
दो चार दिन रहा था किसी की निगाह में।
Jisne Daman Me Rakh Kar Dukh
तेरे हुस्न को परदे कि जरुरत क्या है,
कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।
तेरी तारीफ में कुछ लब्ज कम पड़ गए,
वरना हम भी किसी ग़ालिब से कम नहीं।
नाज़ुक उसके लबों की क्या कहिये,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है।
ये गेशुओं कि घटायें ये लबों के महखाने,
निगाह-ए-शौक खुदाया कहाँ कहाँ ठेहरे।
मेरी निगाह-ए-शौक भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है।
अभी इस तरफ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सवार लू,
मेरा लफ्ज़-लफ्ज़ हो आइना तुझे आईने में उतार लूँ।
अदा आफतें जफा आयी गरूर आया इताब आया,
हजारों आफतें लेकर हसीनो का शबाब आया।
शोखी से ठाहेरती नहीं कातिल की नजर आज,
ये बर्क-ए-बाला देखिये गिरती है किधर आज।
तुझको सजने सवारने की जरुरत ही क्या है,
तुझपे सजती है हया भी किसी जेवर की तरह।
नजाकत ले के आँखों में,
वो उनका देखना तौबा,
या खुदा हम उन्हें देखें,
के उनका देखना देखें।
हमे उम्मीद है आपको हमारी ये शायरी आपको पसंद आई होयगी आप हमारी और शायरिया देखने और पढ़ने के लिए हमारे
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