Dard Shayari in Hindi दर्द शायरी
Dard Shayari in Hindi दर्द शायरी /शायरी ऐसी ज़ुबान है जिसको लोग हर मोके पर करलेते है दर्द है तो दर्द शायरी प्यार है तो प्यार लव शायरी धोका दिया किसी ने तो बेवफा शायरी नई दोस्ती हुई तो दोस्ती शायरी और भी बहुत चीज़ो पर होती शायरी 95% लोग पसंद करते है सबका अपना अपना नजरिया और अपनी अपनी कहानी होती है कुछ लोग फनी होते है तो उनको मस्ती करने के लिए शायरी से अच्छा कुछ नहीं मिलता और वो लोग शायरी में मस्त रहते है आये फिर कुछ शायरी हम भी आपकी नज़र करते है
बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत में
कैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती
कितना लुत्फ ले रहे हैं लोग मेरे दर्द-ओ-ग़म का
ऐ इश्क़ देख तूने तो मेरा तमाशा ही बना दिया।
ये सच है कि हम मोहब्बत से डरते हैं
क्यूँ कि ये प्यार दिल को बहुत तड़पाता है
आँख में आँसू तो हम छुपा सकते हैं
दर्द-ए-दिल दुनिया को पता चल जाता है।
मेरे दर्द का जरा सा हिस्सा लेकर तो देखो
सदियों तक याद करते रहोगे तुम भी
मुस्कुराने से भी होता है दर्द-ए-दिल बयां
किसी को रोने की आदत हो ये जरूरी तो नहीं।
मुस्कुराने से भी होता है दर्द-ए-दिल बयां
किसी को रोने की आदत हो ये जरूरी तो नहीं।
लफ्ज़-ए-तसल्ली तो बस एक तकल्लुफ है
जिसका दर्द उसका दर्द बाकी सब अफ़साने।
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमें यकीन था हमारा क़सूर निकलेगा।
ज़िन्दगी ने मेरे दर्द का क्या खूब इलाज सुझाया
वक्त को दवा बताया ख्वाहिशों से परहेज़ बताया।
तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर
जब भीग कर कहती है कि अब रोया नहीं जाता।
कोई समझता नहीं मुझे इसका ग़म नहीं करता
पर तेरे नजरंदाज करने पर मुस्कुरा देता हूँ
मेरी हँसी में छुपे दर्द को महसूस कर के देख
मैं तो हँस के यूँ ही खुद को सजा देता हूँ।
अपना कोई मिल जाता तो हम फूट के रो लेते
यहाँ सब गैर हैं तो हँस के गुजर जायेगी।
वक़्त ख़ुशी से काटने का मशवरा देते हुये
रो पड़ा वो ख़ुद ही मुझे हौंसला देते हुये ।
न जाने किस तरह के हैं दुनिया के लोग भी
प्यार भी प्यार से करते हैं और बर्बाद भी प्यार से।
लोग मुन्तज़िर ही रहे कि हमें टूटा हुआ देखें
और हम थे कि दर्द सहते-सहते पत्थर के हो गए।
वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत न रही
फिर यूँ हुआ के दर्द में शिद्दत न रही
अपनी ज़िन्दगी में हो गए मसरूफ वो इतना
कि हम को याद करने की फुर्सत न रही।
बैठे है रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये
शायद वो दर्द जाने, शायद वो लौट आये।
इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-ग़म अक्सर
कि दर्द हद से जो बढ़ेगा तो मुस्कुरा दूंगा।
मुझको तो दर्द-ए-दिल का मज़ा याद आ गया
तुम क्यों हुए उदास तुम्हें क्या याद आ गया
कहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख्तसर मगर
कुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया।
जब्त कहता है कि खामोशी से बसर हो जाये
दर्द की जिद है कि दुनिया को खबर हो जाये।
ख़ामोशी को इख़्तियार कर लेना
अपने दिल को थोड़ा बेक़रार कर लेना
ज़िन्दगी का असली दर्द लेना हो तो
बस किसी से बेपनाह प्यार कर लेना।
जब फुरसत मिले चाँद से
मेरे दर्द की कहानी पूछ लेना
सिर्फ एक वो ही है मेरा हमराज
तेरे जाने के बाद।
कहाँ कोई मिला ऐसा जिस पर दिल लुटा देते
हर एक ने धोखा दिया किस किस को भुला देते
अपने दर्द को अपने दिल ही में दबाये रखा
अगर बयां करते तो महफिलों को रुला देते।
दर्द मोहब्बत का ऐ दोस्त बहुत खूब होगा
न चुभेगा.. न दिखेगा.. बस महसूस होगा।
ये जरूरी तो नहीं हर शख़्स मसीहा ही हो
प्यार के ज़ख़्म अमानत हैं दिखाया न करो।
मुझे क़बूल है हर दर्द
हर तकलीफ़ तेरी चाहत में..
सिर्फ़ इतना बता दे
क्या तुझे मेरी मोहब्बत क़बूल है
फैसला ये भी मेरे यार बहुत मुश्किल है
तेरे ज़ुल्म सहें या कि फ़ना हो जाएँ।
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं
बीते लम्हे हमें जब भी याद आते है।
हमें देख कर जब उसने मुँह मोड़ लिया
एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो हैं।
किस दर्द को लिखते हो इतना डूब कर
एक नया दर्द दे दिया है उसने ये पूछकर।
वो दर्द ही न रहा वरना ऐ मता-ए-हयात
मुझे गुमान भी न था मैं तुझे भुला दूंगा।
शीशा टूटे और बिखर जाये वो बेहतर है
दरारें न जीने देती हैं न मरने देती हैं।
हर दर्द को दफ़न कर गहराई में कहीं
दो पल के लिए सब कुछ भुलाया जाए
रोने के लिए घर में कोने बहुत से हैं
आज महफ़िल में चलो सबको हँसाया जाए।
न जाने उस पर इतना यकीन क्यूँ है
उसका ख्याल भी इतना हसीं क्यूँ है
सुना है प्यार का दर्द मीठा होता है
तो आँख से निकला आँसू नमकीन क्यूँ है।
खामोशियाँ कर देतीं बयान तो अलग बात है
कुछ दर्द हैं जो लफ़्ज़ों में उतारे नहीं जाते।
तकलीफ ये नहीं कि तुम्हें अज़ीज़ कोई और है
दर्द तब हुआ जब हम नजरंदाज किए गए।
खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे
दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे
तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे
सुख ये पाया कि हमने बहुत दर्द सहे।
आज उस ने एक दर्द दिया तो मुझे याद आया
हमने ही दुआओं में उसके सारे दर्द माँगे थे।
बहुत जुदा है औरों से मेरे दर्द की कहानी
जख्म का निशाँ नहीं और दर्द की इन्तेहाँ नहीं।
ना तस्वीर है तुम्हारी जो दीदार किया जाये
ना तुम हो मेरे पास जो प्यार किया जाये
ये कौन सा दर्द दिया है तुमने ऐ सनम
ना कुछ कहा जाये ना तुम बिन रहा जाये।
यह भी एक ज़माना देख लिया है हम ने
दर्द जो सुनाया अपना तो तालियां बज उठीं।
रोज़ पिलाता हूँ एक ज़हर का प्याला उसे
एक दर्द जो दिल में है मरता ही नहीं है।
ख्याल में आता है जब भी उनका चेहरा
तो लबों पे अक्सर एक फरियाद आती है
भूल जाते हैं सारे दर्द-ओ-सितम उनके
जब उनकी थोड़ी सी मोहब्बत याद आती है।
बयाँ करना मोहब्बत को आसान न हुआ था
ये जो दर्द है कैसे कह दूँ कि ये तुमने दिया है।
कागज़ पे हमने भी ज़िन्दगी लिख दी
अश्क से सींच कर उनकी खुशी लिख दी
दर्द जब हमने उबारा लफ्जों पे
लोगों ने कहा वाह क्या ग़ज़ल लिख दी।
लोग कहते है हर दर्द की एक हद होती है
शायद उन्होंने मेरा हदों से गुजरना नहीं देखा।
दिया दिए से जला लूँ तो सुकून आये मुझे
तुम्हें गले से लगा लूँ तो चैन आये मुझे
मोहब्बतों के सहीफ़े हैं या अज़ाब कोई
तेरे खतों को जला लूँ तो चैन आये मुझे।
किया है बर्दाश्त तेरा हर दर्द इसी आस के साथ
कि खुदा नूर भी बरसाता है आज़माइशों के बाद।
समझ में कुछ नहीं आता
मोहब्बत किस को कहते हैं
मगर इतना समझता हूँ
कि कहीं पर दर्द उठता है।
कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग
दर्द लिखते हैं और आह तक नहीं करते।
फिर कोई सवाल सुलगता रहा रात भर
फिर कोई जवाब सिसकता ही रह गया।
बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुजर क्यों नहीं जाता
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता।
झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया
इससे बेहतर था खुलकर रो लिए होते।
ये मत समझ कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा
मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा
तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं
तुम्हारी नफरतों की पीर को ज़िंदा नहीं रखा।
तजुर्बे ने हमें एक बात तो सिखाई है
एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है।
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए हैं।
यह इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें
एक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है।
मुझको ढूँढ़ लेता है हर रोज़ नए बहाने से
दर्द हो गया है वाकिफ मेरे हर ठिकाने से।
मैं ज़िन्दगी के उन हालातों से भी गुजरा हूँ
जहाँ लगता था मरना अब जरूरी हो गया है।
गुजरता वक़्त हमें एहसास दिला देता है
जिसे चाहते हैं हम वो ही दिल दुखा देता है
वक़्त मरहम लगा देता है जिन ज़ख्मो पर
कोई अपना उस दर्द को फिर से जगा देता है।
हमने सोचा था कि बताएंगे दिल का दर्द तुमको
पर तुमने तो इतना भी न पूछा कि खामोश क्यों हो।
वो लफ्ज कहाँ से लाऊं जो तुझको मोम कर दें
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से।
मुझको ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं
फिर भी खुश हूँ मुझे उससे कोई गिला नहीं
और कितने आँसू बहाऊँ मैं उसके लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब में लिखा नहीं।
आदत बदल सी गई है वक़्त काटने की
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की।
हमदर्दियाँ भी मुझे काटने लगती हैं अब
यूँ मुझसे मेरा मिजाज़ ना पूछा करे कोई।
कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का
वो क्या समझे दर्द आँखों की इस नमी का
उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब
उन्हें कोई एहसास ही नहीं हमारी कमी का।
मेरी फितरत ही कुछ ऐसी है कि
दर्द सहने का लुत्फ़ उठाता हूँ मैं।
दिल के ज़ख्मों को हवा लगती है
साँस लेना भी यहाँ आसान नहीं है।
रोने की सजा है न रुलाने की सजा है
ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सजा है
हँसती हुई आँखों में आ जाते हैं आँसू
ये उस शख्स से दिल लगाने की सजा है।
हर एक हसीन चेहरे में गुमान उसका था
बसा न कोई दिल में ये मकान उसका था
तमाम दर्द मिट गए मेरे दिल से लेकिन
जो न मिट सका वो एक नाम उसका था।
रोशनी चाहूँ तो दुनिया के अँधेरे घेर लेते हैं
अगर कोई मेरी तरह जी ले तो जीना भूल जायेगा।
तुझसे पहले भी कई जख्म थे सीने में मगर
अब के वह दर्द है दिल में कि रगें टूटती हैं।
आँखों में उमड़ आता है बादल बन कर
दर्द एहसास को बंजर नहीं रहने देता।
अब तुम न कर सकोगे मेरे दर्द का इलाज़
ज़ख्म को नासूर हुए मुद्दतें गुजर गयीं।
ज़हर देता है कोई, तो कोई दवा देता है
जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है।
और भी कर देता है मेरे दर्द में इज़ाफ़ा
तेरे रहते हुए गैरों का दिलासा देना।
७५
शायरी में सिमटते कहाँ हैं दिल के दर्द दोस्तों
बहला रहे हैं खुद को जरा कागजों के साथ।
इनमें क्या फ़र्क़ है अब इस का भी एहसास नहीं
दर्द और दिल का जरा देखिये एक सा होना।
कल रात बरसती रही सावन की घटा भी
और हम भी तेरी याद में दिल खोल के रोए
लोग देते रहे ज़ख्म, सुलगती रही आँखें
हम दर्द के मारों को न सोना था, न सोए।
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई
तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं।
नसीहत अच्छी देती है दुनिया
अगर दर्द किसी ग़ैर का हो।
गुलशन की बहारों पे सर-ए-शाम लिखा है
फिर उस ने किताबों पे मेरा नाम लिखा है
ये दर्द इसी तरह मेरी दुनिया में रहेगा
कुछ सोच के उस ने मेरा अंजाम लिखा है।
खामोशियाँ कर देतीं बयान तो अलग बात है
कुछ दर्द हैं जो लफ़्ज़ों में उतारे नहीं जाते।
आँखों में उमड़ आता है बादल बन कर
दर्द एहसास को बंजर नहीं रहने देता।
रोज़ पिलाता हूँ एक ज़हर का प्याला उसे
एक दर्द जो दिल में है मरता ही नहीं है।
दर्द मोहब्बत का ऐ दोस्त बहुत खूब होगा
न चुभेगा.. न दिखेगा.. बस महसूस होगा।
लोग मुन्तज़िर ही रहे कि हमें टूटा हुआ देखें
और हम थे कि दर्द सहते-सहते पत्थर के हो गए।
पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है
फैलता जाता है फिर आँख के काजल की तरह।
तकलीफ ये नहीं कि तुम्हें अज़ीज़ कोई और है
दर्द तब हुआ जब हम नजरंदाज किए गए।
अपना कोई मिल जाता तो हम फूट के रो लेते
यहाँ सब गैर हैं तो हँस के गुजर जायेगी
अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उमीदों
बहुत दर्द सह लिए मैंने बहुत दिन जी लिया मैंने।
तुझसे पहले भी कई जख्म थे सीने में मगर
अब के वह दर्द है दिल में कि रगें टूटती हैं
और भी कर देता है मेरे दर्द में इज़ाफ़ा
तेरे रहते हुए गैरों का दिलासा देना।
सब सो गए अपना दर्द अपनों को सुना के
कोई होता मेरा तो मुझे भी नींद आ जाती।
झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया
इससे बेहतर था खुलकर रो लिए होते।
दिल के ज़ख्मों को हवा लगती है
साँस लेना भी यहाँ आसान नहीं है।
मुझको तो दर्द-ए-दिल का मज़ा याद आ गया
तुम क्यों हुए उदास तुम्हें क्या याद आ गया
कहने को जिंदगी थी बहुत मुख्तसर मगर
कुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया।
किस दर्द को लिखते हो इतना डूब कर
एक नया दर्द दे दिया है उसने ये पूछकर।
एक दो ज़ख्म नहीं जिस्म है सारा छलनी
दर्द बेचारा परेशान है कहाँ से निकले।
हमें देख कर जब उसने मुँह मोड़ लिया
एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो हैं।
अब दर्द उठा है तो गज़ल भी है जरूरी
पहले भी हुआ करता था इस बार बहुत है।
वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे
हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे
हमें ही मिल गया खिताब-ए-बेवफा क्योंकि
हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम
अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला
ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
दर्द हमने संभाला है हमने आँसू बहाए हैं
बेशक वजह तुम थे पर दिल तो हमारा था।
ज़हर देता है कोई कोई दवा देता है
जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है।
मंजिलों से बेगाना आज भी सफ़र मेरा
है रात बेसहर मेरी दर्द बेअसर मेरा
अब तो हाथों से लकीरें भी मिटी जाती हैं
उसे खोकर मेरे पास रहा कुछ भी नहीं।
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर
मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की
जब जहाँ जो मिला अपना लिया
जो न मिला उसकी ख्वाहिश न की।
यूँ तो हर एक दिल में दर्द नया होता है
बस बयान करने का अंदाज़ जुदा होता है
कुछ लोग आँखों से दर्द को बहा लेते हैं
और किसी की हँसी में भी दर्द छुपा होता है।
मेरे इस दर्द की वजह भी वो हैं
और मेरे दर्द की दवा भी तो वो हैं
वो नमक ज़ख्मों पे लगाते हैं तो क्या
मोहब्बत करने की वजह भी तो वो हैं।
एक नया दर्द मेरे दिल में जगा कर चला गया
कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया
जिसे ढूंढते रहे हम लोगों की भीड़ में
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
तू है सूरज तुझे मालूम कहाँ रात का दर्द
तू किसी रोज मेरे घर में उतर शाम के बाद।
तुमने वो वक्त कहाँ देखा जो गुजरता ही नहीं
दर्द की रात किसे कहते हैं तुम क्या जानो।
आरजू नहीं के ग़म का तूफान टल जाये
फ़िक्र तो ये है तेरा दिल न बदल जाये
भुलाना हो अगर मुझको तो एक एहसान करना
दर्द इतना देना कि मेरी जान निकल जाये।
दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं
हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ
कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब
मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं।
इस तरह मेरी तरफ मेरा मसीहा देखे
दर्द दिल में ही रहे और दवा हो जाए।
जिंदगी को मिले कोई हुनर ऐसा भी
सबमे मौजूद भी हो और फना हो जाए।
मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है
ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है
मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना
तेरे दर्द का अब ये असर आख़िरी है।
दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते
गम में आँसू न बहते तो और क्या करते
उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ
हम अपना दिल न जलाते तो और क्या करते।
कौन तोलेगा हीरों में अब तुम्हारे आंसू फ़राज़
वो जो एक दर्द का ताजिर था दुकां छोड़ गया।
आँखें खुली तो जाग उठी हसरतें फराज़
उसको भी खो दिया जिसे पाया था ख्वाब में।
सज़ा कैसी मिली हमको तुझसे दिल लगाने की
रोना ही पड़ा जब कोशिश की मुस्कुराने की
कौन बनेगा यहाँ मेरी दर्द भरी रातों का हमराज
दर्द ही मिला है जो तूने कोशिश की आजमाने की।
ना कर तू इतनी कोशिशे
मेरे दर्द को समझने की
पहले इश्क़ कर
फिर ज़ख्म खा
फिर लिख दवा मेरे दर्द की।
बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है
तड़प उठता हूँ मैं दर्द के मारे
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत है
देती थी नया जख्म वो रोज मेरी ख़ुशी के लिए।
मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनिया में
इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं
मुझे क़बूल है हर दर्द, हर तकलीफ़ तेरी चाहत में
सिर्फ़ इतना बता दे, क्या तुझे मेरी मोहब्बत क़बूल है?
लोग कहते है हर दर्द की एक हद होती है
शायद उन्होंने मेरा हदों से गुजरना नहीं देखा
प्यार सभी को जीना सिखा देता है
वफ़ा के नाम पे मरना सिखा देता है
प्यार नहीं किया तो करके देख लो यार
ज़ालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।
प्यार मुहब्बत का सिला कुछ नहीं
एक दर्द के सिवा मिला कुछ नहीं
सारे अरमान जल कर ख़ाक हो गए
लोग फिर भी कहते हैं जला कुछ भी नहीं।
जिस दिल पे चोट न आई कभी
वो दर्द किसी का क्या जाने
खुद शम्मा को मालूम नहीं
क्यूँ जल जाते हैं परवाने।
ना किया कर अपने दर्द को
शायरी में बयान ऐ दिल
कुछ लोग टूट जाते हैं
इसे अपनी दास्तान समझकर।
हम ने कब माँगा है तुम से
अपनी वफ़ाओं का सिला
बस दर्द देते रहा करो
मोहब्बत बढ़ती जाएगी।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
नफ़रत करना तो हमने कभी सीखा ही नहीं
मैंने तो दर्द को भी चाहा है अपना समझ कर।
मेरी हर शायरी दिल के दर्द को करेगी बयाँ
तुम्हारी आँख ना भर आयें कहीं पढ़ते पढ़ते।
ज़ख्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत
दर्द तो फिर दर्द है कम क्या ज्यादा क्या।
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत है
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते।