Insaniyat Shayari in Hindi / इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi / इंसानियत शायरी हिंदी में दोस्तों आज हम आप के लिए इंसानियत शायरी पर काम कर रहे है और हमे और आप को इंसानियत के वेयर में बहुत अच्छे से पता है और हम अपनी इस अच्छी आदत का अपने से छूटे लोगो पर काम भी करते है जितना हमसे होता है लेकिन कुछ हमारे दोस्त भाई ऐसे है की अपनी ही ज़रूरत को ज़रूरत समझते है आज हम अपने उन दोस्तों के लिए ये शायरी ले कर आये है और हम अपने उन दोस्तों को ये शायरी शेर भी करेंगे और उनको भी अच्छे अच्छे काम करने का और इंसानियत को समझने और समझने का अहसास और ज़रूरत भी बतायंगे दोस्तों अगर हम अपने से छोटे लोगो की मदद करेंगे तो जो हमसे बड़े है वो भी हमारी मदद कर्नेगे और मदद करना बहुत ज़रूरी है इंसान ही इंसान के काम आता है

अगर हम ही एक दुस्र्रे को नहीं समझेंगे तो यकीन मनो मेरे भाई हम ऐसे ही कमज़ोर और खोकली सोचे से शिकार बन जायँगे जिसे से न हमारा ही भला होयगा और नहीं किसी का हम भला कर पायंगे अच्छे लोगो को ज़माना याद करता है तो मेरे भाइयो हमे चाहिएकि हम अपनी सोच और अपनी इंसानियत को ऐसा बनाले की जो भी हमे और हमारी इंसानियत को देखे देख कर दांग ही रेहजाये और जहा पर भी वो जाये लोगो को यही बताये की इंसानियत ऐसी होती है और इसी बाह को देखते हुवे आज हम अपने दोस्तों के लिए ये इंसानियत शायरी पोस्ट कर रहे है हमे उम्मीद है की आप इन शायरियो को अच्छे से शेर करेंगे और इंसानियत को फैलाओगे चलो फिर देखते है हमारी ये कोशिश आप को किसी लगी उम्मीद यही रखते है आप से की आप को ये पंसद आयंगी upset shayari in hindi

Insaniyat Shayari in Hindi / इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

बहुत से कागज़ मिल जाते हैं एक
खासियत बेच कर, लोग पैसा कमाते
हैं आज कल इंसानियत बेच कर

इंसान ही आता है काम इंसान के
मददगार कोई फरिश्ता नही होता
यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत
से बड़ा कोई रिश्ता नही होता.

इंसानियत की राह पर तुम्हे चलना होगा
ठोकरे खाकर ही ​भी तुम्हे संभलना होग.

अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई,
तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं।

आज लाखों डिग्रीयां हो गई है कॉलेजों में
मगर इंसानियत का पाठ अब कोई नहीं पढ़ता।

तेरा प्यार पाने के लिए मैंने कितना
इंतज़ार किया, और उस इंतज़ार में
न जाने कितनों से प्यार किया।

जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते,
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते।

इसीलिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं।

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ,
साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ.

सच्चाई थी पहले के लोगों की जुबानों में,
सोने के थे दरवाजे मिट्टी के मकानों में।

इंसानियत शायरी हिंदी में

kayam hai duniya

इंसानियत दिल मे होती है हैसियत मे
नही उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही.

चंद सिक्कों में बिकता है इंसान का ज़मीर,
कौन कहता है मुल्क में महंगाई बहुत है।

मेहनत के प्रति मन मै अपने
श्रद्धा हमेशा बनाए रखना
जिंदगी मे बस इंसानियत को
ही अपना उसूल बनाए रखना.

जिनका मिलना मुकद्दर में लिखा नहीं होता,
उनसे मोहब्बत कसम से बा-कमाल होती है।

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ,
साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ.

पहले ज़मीं बँटी फिर घर भी बँट गया,
इंसान अपने आप में कितना सिमट गया।

इंसान की मदद करने इंसान ही आता है
इंसानियत का अपना एक उसूल होता है.

जरा सा बात करने का तरीका सीख लो तुम भी,
उधर तुम बात करते हो इधर दिल टूट जाता है।

आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे.

ना किसी क़यामत से रह गया है ना भगवान्
से रह गया है, इंसान को डर बस अब इंसान
से रह गया है।

Insaniyat Shayari in Hindi / इंसानियत शायरी हिंदी में

andho ki duniya

खुद भूखा रहकर किसी को खिलाकर
तो देखिए कुछ यूं इंसानियत का फ़र्ज
निभाकर तो देखिए.

दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू.

फितरत सोच और हालात में फर्क है वरना,
इन्सान कैसा भी हो दिल का बुरा नहीं होता.

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं,दो
गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद।

सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं जिस
को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं.

दिल के मंदिरों में कहीं बंदगी नहीं करते,
पत्थर की इमारतों में खुदा ढूंढ़ते हैं लोग।

हमारी हैसियत का अंदाज़ा तुम ये जान के लगा लो,
हम कभी उनके नहीं होते जो हर किसी के हो गए।

खड़े पेड़ से सीख लिया एक
छोटा सा सन्देश तपते रहना है खुद
पर इंसानियत नहीं भूलना यही है
हमारे पूर्वजो का आदेश.

उस शख्स का ग़म भी कोई सोचे,
जिसे रोता हुआ ना देखा हो किसी ने।

इंसानियत तो मैंने आज ब्लड बैंक में देखी थी,
खून की बोतलों पर मजहब लिखा नही होता।

Insaniyat Shayari in Hindi / इंसानियत शायरी हिंदी में

gareeb ho ya ameer

ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़
डरते हैं ऐ ज़मीन तिरे आदमी से हम।

अब तू ही कोई मेरे ग़म का इलाज कर दे,
तेरा ग़म है तेरे कहने से चला जायेगा।

ग़म देकर तुमने खता की,ऐ सनम
तुम ये न समझना, तेरा दिया हुआ
ग़म भी,हमें दवा ही लगता है।

तुझको पा कर भी न कम हो सकी
बेताबी दिल की,इतना आसान तेरे
इश्क़ का ग़म था ही नहीं।

चाहत वो नहीं जो जान देती है,
चाहत वो नहीं जो मुस्कान देती है,
ऐ दोस्त चाहत तो वो है,जो पानी में
गिरा आंसू पहचान लेती हैं.

कुछ ग़मों का होना भी जरूरी है
ज़िंदगी में, ज़िंदा होने का अहसास
बना रहता हैं।

तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको,
आँसू तो रोज गिर कर सूख जाते हैं।.

अपनी औकात भूल जाऊ इतना अमीर
भी नही हू मै,और कोई मेरी औकात
बताए इतना फकीर भी नहीं हू मै।

ना जाने उनकी ऐसी क्या मज़बूरी आ गयी हैं
हमसे बात करने में उन्हें बड़ी दिक्कत आ रही हैं।

किस्मत के तराज़ू में तो फकिर हैं,हम
और दर्द दे दिल में हम सा कोई नहीं,

Insaniyat Shayari in Hindi / इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं,
बीते लम्हे हमें जब भी याद आते है।

जिसके दिल पर भी क्या खूब गूजरी होगी,
जिसने इस दर्द का नाम मुहब्बत रखा होगा,

किस दर्द को लिखते हो इतना डूब कर,
एक नया दर्द दे दिया है उसने ये पूछकर।

किसी चीज के लिए अपना रुतबा ना गिराए,
क्योंकि आत्म-सम्मान ही सब कुछ होता है।

ख़ुद की इज़्ज़त ख़ुद के हाथ होती है
दूसरों के आगे हाथ फैलाने से नहीं.

कोई कितना भी पैसे वाला क्यों ना हो
वह इज़्ज़त कहीं से ख़रीद ही नहीं सकता.

आँखो में आँसू और दिल में कुछ अरमान रख लो,
लम्बा सफर हैं मोहब्बत का जरुरी सामान रख लो

जिस चीज़ पे तू हाथ रख दे वो चीज़ तेरी हो,
और जिस से तू प्यार करे, वो तक़दीर मेरी हो.

खुश्क आँखों से भी अश्कों की महक आती है,
मैं तेरे गम को ज़माने से छुपाऊं कैसे।

तुम्हें पा लेते तो किस्सा ग़म का खत्म हो जाता,
तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लम्बी चलेगी।

इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

अब क्या ही दलील राखी जाएगी
ऊपर वाले की अदालत में,
जब इंसान ही ज़िम्मेदार है,
इंसानियत की इस हालत में।

इंसान ही आता है काम इंसान के
मददगार कोई फरिश्ता नही होता,
यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत
से बड़ा कोई रिश्ता नही होता।

इंसानियत ही पहला धर्म है,
इंसान का फिर पन्ना खुलता है
गीता और कुरान का.

सभी को सभी के आंसू झूठे
नज़र आने लगे है,
अब लगता है दिल सीने में
पत्थर के आने लगे हैं!

अंधो की दुनिया में गूंगी जुबान
हो गई बहरे लोग है यहां तभी
तो इंसानियत तबाह हो गई..

कामियाबी ऊपर और इंसानियत नीचे रह गई,
पैसे कमाने की ख्वाहिश में
मानवता कहीं पीछे रह गई!

आज लाखों डिग्रीयां हो गई है,
कॉलेजों में मगर इंसानियत का पाठ
अब कोई नहीं पढ़ता।

जिंदा रहने के लिए भी, आज मरना जरूरी है,
कि ये दुनिया लाशो की शौक़ीन हो गई है,
आँखें बंद कर के तमाशा देख रहा है इंसान,
इंसानियत जैसे ज़मीन के अंदर सो गई है।

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है,
सब ने इंसान ना बनने की क़सम खाई है!

इंसानियत तो एक है,
मजहब अनेक है ये जिंदगी
इसको जीने के मक़सद अनेक है…

इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

खुदा ना बदल सका आदमी को आज भी यारों,
और आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले…

एक जानवर दूसरे जानवर का
होते देखा है मैंने, मगर आज तक
एक इंसान दूसरे इंसान का ना रहा।

होठो पर मुस्कान रहे,
हर दम तेरा ध्यान रहे,
जिस दिल में इंसानियत,
उस दिल में भगवान रहे!

हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर
तो कोई भी कर ले,
जो सबके दिल पे छा जाए
उसे इंसान कहते हैं।

उस शिक्षा का कोई भी मतलब नही
जो तुम्हे इंसानियत ना सिखाती हो…

इंसानियत का कद हमेशा
हैसियत से बड़ा होता है।

ढूंढ़ने से तो बशर को खुदा भी मिलता है,
खुदा अगर ढूंढे तो इंसान कहाँ मिलता है।

इंसान तो हर घर में जन्म लेता है बस
इंसानियत कही कही ही जन्म लेती है…

चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर,
कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।

इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा,
साए तो है इंसान के मगर इंसान कहा!

Insaniyat Shayari in Hindi / इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

निभाते नही है वह लोग आजकल
वरना इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही!

पहले ज़मीं बँटी फिर घर भी बँट गया,
इंसान अपने आप में कितना सिमट गया।

इंसानियत की राह पर तुम्हें चलना होगा,
ठोकरें खा कर भी तुम्हें संभलना होगा।

मजहब की गुलामी करते-करते
भूल गए हम इंसानियत।

हर इंसान में होते हैं दस बीस इंसान,
जिस को भी देखना हो कई बार देखना।

फितरत, सोच और हालात में फर्क है वरना,
इंसान कैसा भी हो दिल का बुरा नहीं होता।

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे।

कौन किस कौम का है ये सवाल ही ना होता,
सिर्फ मानवता एक धर्म होता तो ये हाल ही ना होता…

आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे!

इंसानियत दिल में होती है हैसियत में नही,
उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही।

इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

कुछ तो मेरे सीने में भी ईमान रहने दो
काफिर नही हूं मैं मुझे तो इंसान ही रहने दो

रखते हैं जो औरों के लिए प्यार का जज्बा
वो लोग कभी टूट कर बिखरा नहीं करते!

जनाब अपराध की बस्ती है
फरेबियो का जाल है
कैसे बचे इंसानियत
यहां तो हर तरफ धोखेबाज है.

खोखली बाते और मक्कारिओ का दौर है
इंसानियत और खुद्दारी
दम तोड़ के तोड़ चुकी है

मजहब की गुलामी करते-करते
भूल गए हम इंसानियत.

मैंने इंसान के ही हाथो
इंसानियत को मरते देखा है.

किराए के घर को
अपना मकान समझते है
यह भूत है पत्थर के खुद
को इंसान सोचते है.

क्यो उस नन्ही सी जान
को हलाल करके खाता है
तो इंसान ही है ना क्या
तुझे रहम नही आता है.

शब्दों से बढ़ती है
कागजों की कीमत
परोपकार से बढ़ती है
इंसानियत की कीमत.

इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

होठो पर मुस्कान रहे
हर दम तेरा ध्यान रहे
जिस दिल में इंसानियत
उस दिल में भगवान रहे.

इंसान तो हर घर मे जन्म लेता है बस
इंसानियत कही कही ही जन्म लेती है

पहले जमीन बंटी फिर घर भी बंट गया
इंसान अपने आप मे कितना सिमट गया

दुनिया पे ऐसा वक़्त
पड़ेगा कि एक दिन इन्सान
की तलाश मे इन्सान जाएगा

इंसानियत तो हमने ब्लड बैंक
से सीखी है साहब जहां बोतलो
पर मजहब नही लिखा होता

चीजो की कीमत मिलने
से पहले होती है इंसानो
की कीमत खोने के बाद

उस शिक्षा का कोई भी मतलब नही
जो तुम्हे इंसानियत ना सिखाती हो

गंगा मे डुबकी लगाकर
तीर्थ किए हजार इनसे क्या
होगा अगर बदले नही विचार

इंसानियत ही पहला धर्म है
इंसान का फिर पन्ना खुलता है
गीता और कुरान का

जिंदगी इंसान से बनाई है
मैने हैसियत से बनाई
होती तो हम भी मशहूर होते !

जिंदगी की वैलिडिटी भले
ही कम हो पर इंसानियत का
बैलेस कभी कम नही होना चाहिए !

इंसानियत शायरी हिंदी में

Insaniyat Shayari in Hindi

मजहब की गुलामी करते-करते
भूल गए हम इंसानियत.

इंसानियत की राह पर तुम्हे
चलना होगा ठोकरे खाकर
ही ​भी तुम्हे संभलना होग

निभाते नही है वह लोग
आजकल वरना इंसानियत
से बड़ा कोई रिश्ता नही

आइना कोई ऐसा बना दे
ऐ खुदा जोइंसान का चेहरा
नही किरदार दिखा दे

इंसानियत दिल मे होती है
हैसियत मे नही उपरवाला
कर्म देखता है वसीयत नही

मेरी जबान के मौसम
बदलते रहते है मै तो आदमी हूं
मेरा ऐतबार मत करना !

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