Kafan Maut Shayari / कफ़न मौत शायरी दोस्तों आज हम कफ़न मौत शायरी पोस्ट देखेंगे और दुनिया में कोई ऐसा नहीं जिसे मौत से डर नहीं लगता हो और कोई ऐसा भी नहीं जो मौत और कफ़न को नहीं जनता हो लेकिन दुनिया हमे इतनी पसंद है की हम इस दुनिया से नहीं जाना कहते और इस दुनिया को नहीं छोड़ना कहते लेकिन ऐसा हो ही नहीं सकता इस दुनिया में जोभी आया वो इस दुनिया से गया भी है और ऐसे ही जो भी आएगा उसको जाना ही है सब इस बात को बहुत अच्छी से जानते है और मानते भी है अब इसमें कोई भी बात मेटर नहीं करती की में कोण हु और वह कौन है सब को ही जाना है जाने के नाम से कोई भी इंकार नहीं कर सकता क्यू की यह हमारे हाथ में नहीं है
इस लिए ही दोस्तों आज हम अपनी इस पोस्ट में कुछ दिल को छू जाने वाली मौत कफ़न शायरी देखहेंगे कभी कभी ऐसा होता है हम अपसेट होते है तब भी हमे कुछ इसी तरह की शायरी बहुत पसंद आती है तब हम गूगल पर जा कर मौत शायरी सर्च करते है और अपनी पसंद की कुछ शायरिया निकलते है और अपने दोस्तों में शेर करते है इस लिए ही आज हम ये पोस्ट आपके लिए कर रहे है आप को यहाँ पर एक से एक अच्छी शायरी यहाँ पर हमारे पेज पर मिल जायँगी आप को kahi पर भी जाने की या परेशां होने की ज़रूरत नहीं है आप को यहाँ पर आल टाइप की शायरिया मिल जायँगी आप यहाँ पर आकर सर्च करे और देखे हमने यहाँ पर बहुत ही बेहतरीन शायरिया पोस्ट की हुई है और हमे लगता है की आप को हमारी ये शायरिया ज़रु पसनद आयंगी चलो फिर देखते है आज मौत कफ़न शायरी chodkar jane wali shayari
Kafan Maut Shayari / कफ़न मौत शायरी
दो गज़ ज़मीन सही मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको ज़मींदार कर दिया।
ऐ मौत तुझे एक दिन आना है भले,
आ जाती शबे फुरकत में तो अहसां होता।
उससे बिछड़े तो मालूम हुआ मौत भी कोई चीज़ है,
ज़िन्दगी वो थी जो उसकी महफ़िल में गुज़ार आए।
बढ़ जाती है मेरी मौत की तारीख खुद ब खुद आगे,
जब भी कोई तेरी सलामती की खबर ले आता है।
बादे-फना फिजूल है नामोनिशां की फिक्र,
जब हम नहीं रहे तो रहेगा मजार क्या?
ज़िंदगी बैठी थी अपने हुस्न पे फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
साँसों के सिलसिले को न दो ज़िंदगी का नाम,
जीने के बावजूद भी मर जाते हैं कुछ लोग।
इस मरहले को भी मौत ही कहते हैं,
जहाँ एक पल में टूट जाये उम्र भर का साथ।
जरा चुपचाप तो बैठो कि दम आराम से निकले,
इधर हम हिचकी लेते हैं उधर तुम रोने लगते हो।
तुम समझते हो कि जीने की तलब है मुझको,
मैं तो इस आस में ज़िंदा हूँ कि मरना कब है।
अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले,
वो बदल गया है जिसके लिए हम ज़िंदा थे।
Kafan Maut Shayari / कफ़न मौत शायरी
मौत-ओ-हस्ती की कशमकश में कटी उम्र तमाम,
गम ने जीने न दिया शौक ने मरने न दिया।
खबर सुनकर मरने की वो बोले रक़ीबों से,
खुदा बख्शे बहुत-सी खूबियां थीं मरने वाले में।
मैं अब सुपुर्दे ख़ाक हूँ मुझको जलाना छोड़ दे,
कब्र पर मेरी तू उसके साथ आना छोड़ दे,
हो सके गर तू खुशी से अश्क पीना सीख ले,
या तू आँखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे।
वो कर नहीं रहे थे मेरी बात का यकीन,
फिर यूँ हुआ के मर के दिखाना पड़ा मुझे।
तू बदनाम ना हो इसलिए जी रहा हूँ मैं,
वरना मरने का इरादा तो रोज होता है।
न उड़ाओ यूं ठोकरों से मेरी खाके-कब्र ज़ालिम,
यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी।
उम्र तमाम बहार की उम्मीद में गुजर गयी,
बहार आई है तो पैगाम मौत का लाई है।
मिट्टी मेरी कब्र से उठा रहा है कोई,
मरने के बाद भी याद आ रहा है कोई,
कुछ पल की मोहलत और दे दे ऐ खुदा,
उदास मेरी कब्र से जा रहा है कोई।
वादे भी उसने क्या खूब निभाए हैं,
ज़ख्म और दर्द तोहफे में भिजवाए हैं,
इस से बढ़कर वफ़ा कि मिसाल क्या होगी,
मौत से पहले कफ़न का सामान ले आये हैं।
Kafan Maut Shayari / कफ़न मौत शायरी
कितना और दर्द देगा बस इतना बता दे,
ऐसा कर ऐ खुदा मेरी हस्ती मिटा दे,
यूं घुट घुट के जीने से तो मौत बेहतर है,
मैं कभी न जागूं मुझे ऐसी नींद सुला दे।
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे,
मर के भी चैन न पाया तो किधर जायेंगे।
वादा करके और भी आफ़त में डाला आपने,
ज़िन्दगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया।
दो अश्क मेरी याद में बहा जाते तो क्या जाता,
चन्द कालियां लाश पे बिछा जाते तो क्या जाता,
आये हो मेरी मय्यत पर सनम नक़ाब ओढ़ कर तुम,
अगर ये चांद का टुकडा दिखा जाते तो क्या जाता।
गम-ए-हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई,
चले आओ इस दुनिया से जा रहा है कोई,
अज़ल से कह दो रुक जाये दो घड़ी,
सुना है आने का वादा निभा रहा है कोई,
वो इस नाज से बैठे हैं लाश के पास,
जैसे रूठे हुए को मना रहा है कोई,
पलट कर न आ जायें फिर साँसें,
हसीं हाथों से मय्यत सजा रहा है कोई।
अब तलक हम मुन्तजिर हैं जिनके,
उनको हमारा ख्याल तक न आया,
उनके प्यार में हमारी जान तक चली गयी,
और उनको हमारी मौत का मलाल तक न आया।
लम्हा लम्हा सांसें ख़त्म हो रही हैं,
जिंदगी मौत के आगोश में सो रही है,
उस बेवफा से न पूछो मेरी मौत के वजह,
वही तो कातिल है दिखाने को रो रही है।
कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता,
किसी की बर्बादी का किस्सा सुनाया नहीं जाता,
एक बार जी भर के देख लो इस चहेरे को,
क्योंकि बार बार कफ़न उठाया नहीं जाता।
हुआ जब इश्क़ का एहसास उन्हें,
आकर वो पास सारा दिन रोते रहे,
हम भी निकले खुदगर्ज़ इतने यारो,
कफ़न में आँखें बंद करके सोते रहे।
प्यार में सब कुछ भुलाए बैठे हैं,
चिराग यादों के जलाये बैठे है,
हम तो मरेंगे उनकी ही बाहों में,
ये मौत से शर्त लगाये बैठे हैं।
Kafan Maut Shayari / कफ़न मौत शायरी
मोहब्बत के नाम पे दीवाने चले आते हैं,
शमा के पीछे परवाने चले आते हैं,
तुम्हें याद ना आये तो चले आना मेरी मौत पर,
उस दिन तो बेगाने भी चले आते हैं।
चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,
झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,
जिंदगी तो वीरान थी मौत भी गुमनाम ना हो,
मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो।
मेरी मौत पर भी उसकी आँखों में आँसू न थे,
उसे शक था कि मुझ में अब भी जान बाकी है।
चल साथ कि हसरत दिल-ए-महरूम से निकले,
आशिक का जनाजा है जरा धूम से निकले।
जिंदगी गुजर गई सारी काँटों की कगार पर,
और फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मजार पर।
मौत आये तो दिन बदलें शायद,
ज़िंदगी ने तो मार ही डाला है।
मौत ने मुझको तवज्जो दी नहीं
इसलिए हर हाल में जीता हूँ मैं।
हमारी मुस्कुराहट पर न जाना,
दिया तो कब्र पर भी जल रहा है।
खत्म कर देगी किसी दिन ये तमन्ना-ए-हयात,
रात-दिन कोशिश में जीने की मरा जाता हूँ मैं,
जिन्दगी के दाम इतने गिर गये कुछ गम नहीं,
मौत की बढ़ती हुई कीमत से घबराता हूँ मैं।
मौत से पहले भी एक मौत होती है,
देखो तुम किसी अपने से जुदा होकर
Kafan Maut Shayari / कफ़न मौत शायरी
जो लोग मौत को जालिम करार देते हैं,
खुदा मिलाये उन्हें ज़िन्दगी के मारों से।
नशा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर,
हम गिर पड़े तो मौत उठा ले गई हमें।
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं,
ज़िंदगी तूने तो धोखे पे दिया है धोखा।
मुझे सिर्फ़ इतना बता दो…
इंतज़ार करूँ या ख़ुद को मिटा दूँ ऐ सनम?
तुम पर भी यकीन है और मौत पर भी ऐतबार है,
देखें पहले कौन मिलता है, हमें दोनों का इंतजार है।
छोड़ दिया मुझको आज मेरी मौत ने यह कह कर,
हो जाओ जब ज़िंदा, तो ख़बर कर देना।
मौत एक सच्चाई है उसमे कोई ऐब नहीं,
क्या लेके जाओगे यारों कफ़न में कोई जेब नही।
चूम कर कफ़न में लपटे मेरे चेहरे को
उसने तड़प के कहा,
नए कपड़े क्या पहन लिए, हमें देखते भी नहीं’।
जिसकी याद में सारे जहाँ को भूल गए,
सुना है आजकल वो हमारा नाम तक भूल गए,
कसम खाई थी जिसने साथ निभाने की यारो,
आज वो हमारी लाश पर आना भूल गए।
इश्क कहता है मुझे इक बार कर के देख,
तुझे मौत से न मिलवा दिया तो मेरा नाम बदल देना।
तमन्ना ययही है बस एक बार आये,
चाहे मौत आये चाहे यार आये।
कफ़न मौत शायरी
जनाजा रोक कर मेरा, वो इस अंदाज़ से बोले,
गली हमने कही थी तुम तो दुनिया छोड़े जाते हो।
अपने वजूद पर इतना न इतरा ए ज़िन्दगी,
वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है।
मोहब्बत के नाम पे दीवाने चले आते हैं,
शमा के पीछे परवाने चले आते हैं,
तुम्हें याद न आये तो चले आना मेरी मौत पर,
उस दिन तो बेगाने भी चले आते हैं।
तू बदनाम न हो जाए इस लिए जी रहा हूँ मैं,
वरना मरने का इरादा तो रोज ही होता है।
ऐ मौत तुझे एक दिन आना है भले,
आ जाती शब्-ए-फुरकत में तो एहसान होता।
न उढाओ ठोकरों में मेरी खाके-कब्र ज़ालिम,
येही एक रह गयी है मेरे प्यार की निशानी।
किसी कहने वाले ने भी क्या खूब कहा है कि,
मेरी ज़िन्दगी इतनी प्यारी नहीं की मैं मौत से डरूं।
उम्र तमाम बहार की उम्मीद में गुजर गयी,
बहार आयी है तो मौत का पैगाम लायी है।
मुझे रुला कर सोना तो तुम्हारी आदत बन गयी है,
अगर मेरी आँख ही न खुली तो तड़पोगे बहुत तुम।
मार डालेगी मुझे ये खुशबयानी आपकी,
मौत भी आएगी मुझको तो जबानी आपकी।
कफ़न मौत शायरी
बहाने मौत के तो तमाम नज़र आते हैं,
जीने की वजह तेरे सिवा कुछ नही भी।
चंद साँसे बची हैं आखिरी दीदार दे दो,
झूठा सही एक बार मगर प्यार दे दो,
ज़िन्दगी तो वीरान थी पर मौत तो गुमनाम न हो,
मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हज़ार दे दो।
कितना और दर्द देगा बस इतना बता दे,
ऐसा कर ऐ खुदा मेरी हस्ती मिटा दे,
यूँ घुट-घुट के जीने से मौत बेहतर है,
मैं कभी न जागूं मुझे ऐसी नींद सुला दे।
वादे तो हजारों किये थे उसने मुझसे,
काश एक वादा उसने निभाया होता,
मौत का किसको पता कि कब आएगी,
पर काश उसने जिंदा दफनाया न होता।
मेरी मौत के सबब आप बने,
इस दिल के रब आप बने,
पहले मिसाल थे वफ़ा की,
जाने यूँ बेवफ़ा कब आप बने।
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जायेंगे,
सब रिश्ते इस जमीन से तोड़ जायेंगे,
जितना जी चाहे सता लो तुम मुझे,
एक दिन रोता हुआ सबको छोड़ जायेंगे।
प्यार में सब कुछ भुलाये बैठे हैं,
चिराग यादों के जलाये बैठे हैं,
हम तो मरेंगे उनकी ही यादों में,
यह मौत से शर्त लगाये बैठे हैं।
कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता,
किसी की बर्बादी का किस्सा सुनाया नहीं जाता,
एक बार जी भर के देख लो इस चहरे को,
क्यूंकि बार बार कफ़न उठाया नहीं जाता।
दो अश्क मेरी याद में बहा जाते तो क्या जाता,
चंद कलियाँ लाश पे बिछा जाते तो क्या जाता,
आये हो मेरी मय्यत पर सनम नकाब ओढ़कर.
अगर ये चाँद का टुकड़ा दिखा जाते तो क्या जाता।
कोई नहीं आयेगा मेरी ज़िनदगी में तुम्हारे सिवा,
बस एक मौत ही है जिसका मैं वादा नहीं करता।
कफ़न मौत शायरी
अगर रुक जाए मेरी धड़कन तो मौत न समझना,
कई बार ऐसा हुआ है तुझे याद करते करते।
अब तो घबरा के ये कहते हैं के मर जायेगे,
मर के भी चैन न पाया तो किधर जायेंगे।
पैदा तो सभी मरने के लिये ही होते हैं
पर मौत ऐसी होनी चाहिए, जिस पर जमाना अफसोस करे।
सुहाना मौसम और हवा में नमी होगी,
आंसुओं की बहती नदी न थमी होगी,
मिलना तो हम तब भी चाहेंगे आपसे,
जब आपके पास वक़्त और…
हमारे पास साँसों की होगी।
मिटटी मेरी कब्र से उठा रहा है कोई,
मरने के बाद भी याद आ रहा है कोई,
कुछ पल की मोहलत और दे दे ए खुदा,
उदास मेरी कब्र से जा रहा है कोई।
पहले ज़िन्दगी छीन ली मुझसे,
अब मेरी मौत का फायेदा उठाती है,
मेरी कब्र पे फूल चढ़ाने के बहाने,
वो किसी और से मिलने आती है।
कितना दिल फरेब होगा वो मेरी मौत का मंज़र,
मुझे ठुकराने वाले मेरे लिए आँसू बहायेंगे।
जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया,
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया।
अब सुपुर्द-ए-खाक हूँ मुझको जलाना छोड़ दे,
कब्र पर मेरी तू उसके साथ आना छोड़ दे,
हो सके गर तू खुशी से अश्क पीना सीख ले,
या तू आँखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे।
ओढ़ कर मिटटी कि चादर बेनिशान हो जायेंगे,
एक दिन आएगा हम भी दास्तान हो जायेंगे।
कफ़न मौत शायरी
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गयी,
इक शख़्स सारे शहर को वीरान सा कर गया है।
वो कर नहीं रहे थे मेरी बात का यकीन,
फिर यूँ हुआ के मर के दिखाना पड़ा मुझे।
जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं,
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से।
जब हुआ मेरे इश्क का एहसास उन्हें,
आकार वो पास सारा दिन रोते रहे,
हम भी निकले खुद-गरज इतने यारो,
कफ़न में आँख बंद किये सोते रहे।
तूफ़ान है जिंदगी तो साहिल है तेरी दोस्ती,
सफ़र है मेरी जिंदगी मंजिल है तेरी दोस्ती,
मौत के बाद मिल जायेगी मुझे जन्नत,
जिंदगी भर रहे अगर कायम तेरी दोस्ती।
जब तेरी नजरों से दूर हो जायेंगे हम,
दूर फिजाओं में कहीं खो जायेंगे हम,
मेरी यादों से लिपट कर रोने आओगे तुम,
जब जमीन को ओढ़ कर सो जायेंगे हम।
गम ए हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई,
चले आओ इस दुनिया से जा रहा है कोई,
अज़ल से कह दो रुक जाए दो घड़ी,
सुना है आने का वादा निभा रहा है कोई,
वोह इस नाज़ से बैठे हैं लास के पास,
जैसे रूठे हुए को मना रहा है कोई,
पलट कर न आ जायें फिर साँसे,
हसीन हाथो से मय्यत सजा रहा है कोई।
मौत एक सच्चाई है उसमे कोई ऐब नहीं
क्या लेके जाओगे यारों कफ़न में कोई जेब नही
चूम कर कफ़न में लपटे मेरे चेहरे को उसने तड़प के कहा
नए कपड़े क्या पहन लिए, हमें देखते भी नहीं
आज जिस्म में जान है तो देखते भी नहीं लोग
जब रुह निकल जायेगी तो कफ़न हटा हटा कर देखेंगे
कफ़न मौत शायरी
मेरे दिल के कफ़न में लिपटी तेरी यादें है
ये आख़िरत की निशानी है इसकी कब्र यही है
कूचे में तेरे कौन था लेता भला ख़बर
शब चाँदनी ने आ के पहनाया कफ़न मुझे
रूख से उड़ रहा था कफन बार बार
शायद तेरे दीदार की हसरत थी मरने के बाद भी
कफ़न में दफन हैं… लेकिन फिर भी
कुछ तुच्छ ख्वाहिशें दम भर रही हैं
दिल रोज़ मुझसे कहता है की सो जा किसी क़ब्र में कफ़न ओढ़ के
और मैं कहता हूँ की ज़िंदा लाश को कोई कब्रिस्तान में नहीं रखता
जब से पता चला है, की मरने का नाम है ‘ज़िंदगी’
तब से, कफ़न बांधे क़ातिल को ढूढ़ते हैं
वतन की खाक को चंदन समझकर सर पे रखतें है
कब्र में भी खाके वतन कफन पे रखते हैं
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब
कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए
बिना लिबास आए थे इस जहां मेँ
बस एक क़फ़न की खातिर, इतना सफ़र करना पड़ा
ऐ मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर
कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है
कफ़न मौत शायरी
कफ़न ओढ़ लिया है शरीर पे जीते जी अब तो
ऐ ज़िन्दगी जब जलाना हो मुझे तो आकर ले जाना
लिबास तय करता है बसर की हैसियत
कफ़न ओढ़ लो तो दुनिया कंधो पर उठाती है
जिंदगी से कुछ भी उधार नही लेते दोस्त
कफन भी लेते है तो जिंदगी देकर
जिन पर लुटा चुका था मैं दुनिया की दौलतें
उन वारिसो नें मुझे कफ़न भी नाप कर दिया
पहचान कफ़न से नहीं होती है
लाश के पीछे काफिला बयां कर देता है हस्ती को
दर्द की सारी सिलबटों पर कफन डाल आयी हूँ
हाँ तन्ह़ा ही किस्ती को दरिया से निकाल लाई हूँ
अब उम्र का लिहाज़ कर, कफ़न का इंतज़ाम कर
भाग मत इधर उधर, आख़िरी सलाम कर
कफ़न में ज़ेब ना सही मेरे
उनका भेजा रुमाल रख देना
कफ़न हरदम मेरा तैयार तुम रखना
दौर ऐसा है पता नहीं कब मौत आ जाए
आओ चलो अपना अपना कफन खरीदकर रख लिया जाए
वक़्त कह रहा है अपनो पर भरोसा अब और कम किया जाए
कफ़न मौत शायरी
कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता
किसी की बर्बादी का किस्सा सुनाया नहीं जाता
एक बार जी भर के देख लो इस चहरे को
क्यूंकि बार बार कफ़न उठाया नहीं जाता
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जायेंगे
सब रिश्ते इस जमीन से तोड़ जायेंगे
जितना जी चाहे सता लो तुम मुझे
एक दिन रोता हुआ सबको छोड़ जायेंगे
जब हुआ मेरे इश्क का एहसास उन्हें
आकार वो पास सारा दिन रोते रहे
हम भी निकले खुद-गरज इतने यारो
कफ़न में आँख बंद किये सोते रहे
इजाजत ना मिली पास आने की
तेरी दुनियां से मैं गुजर जाऊंगा
हसरत दिल की दिल में रहेगी
मैं दो गज कफन में सिमट जाऊगा
दर्द से अब हम खेलना सीख गए
हम बेवफाई के साथ जीना सीख गए
क्या बताएं किस कदर दिल टूटा है मेरा
मौत से पहले, कफ़न ओढ़ कर सोना सीख गए
मेरी बर्बादी पर तू कोई मलाल ना करना
भूल जाना मेरा ख्याल ना करना
हम तेरी ख़ुशी के लिए कफ़न ओढ़ लेंगे
पर तुम मेरी लाश से कोई सवाल मत करना
इन हसीनो से तो कफ़न अच्छा है
जो मरते दम तक साथ जाता है
ये तो जिंदा लोगो से मुह मोड़ लेती हैं
कफ़न तो मुर्दों से भी लिपट जाता है
दुनिया बहुत मतलबी है
साथ कोई क्यों देगा
मुफ्त का यहाँ कफ़न नहीं मिलता
तो बिना गम के प्यार कौन देगा
क्यों मरते हो यारो सनम के लिए
दुपट्टा भी नहीं देगी कफ़न के लिए
मरना है तो यारो मरो अपने वतन के लिए
तिरंगा तो मिलेगा कफन के लिए
उसने शादी का जोड़ा पहन कर
सिर्फ चुमा था मेरे कफन को
बस उसी दिन से जन्नत की हूरें
मुझे दूल्हा बनाए हुए हैं
वतन वालो वतन ना बेच देना
ये धरती ये गगन ना बेच देना
शहीदो ने जान दि है वतन के वास्ते
शहीदो के कफन ना बेच देना