जला देना होली में,
सब औपचारिक वेश को,
भौतिक रंगो को छुड़ा लेना।
मिल जाना अपनों के,
अपनेपन में,
और प्रेम के रंगों को सजा लेना।
सब झूठ है, दिखावे की रंगत
रंगो के पीछे, मुखौटे के नीचे,
एक चेहरा बना लेना
इन से धुला हुआ,
एक चेहरा हो,
उसमे प्रेम के रंगों को सजा लेना।
-प्रयास गुप्ता ।
यह भी पढ़े-