प्रेम के रंग – प्रयास गुप्ता

जला देना होली में,
सब औपचारिक वेश को,
भौतिक रंगो को छुड़ा लेना।

मिल जाना अपनों के,
अपनेपन में,
और प्रेम के रंगों को सजा लेना।

सब झूठ है, दिखावे की रंगत
रंगो के पीछे, मुखौटे के नीचे,
एक चेहरा बना लेना

इन से धुला हुआ,
एक चेहरा हो,
उसमे प्रेम के रंगों को सजा लेना।

-प्रयास गुप्ता ।


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Neeraj Yadav

मैं नीरज यादव इस वैबसाइट (ThePoetryLine.in) का Founder और एक Computer Science Student हूँ। मुझे शायरी पढ़ना और लिखना काफी पसंद है।

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