pyari maa shayari in hindi प्यारी माँ शायरी हिंदी में

pyari maa shayari in hindi प्यारी माँ शायरी हिंदी माँ दुन्या की एक ऐसी हस्ती है जिसको लफ्ज़ो में बताना आसान नहीं होगा और ना ही कोई बता सकता है माँ किया है वो बस माँ ही समझती है माँ के लिए असा कोई अल्फ़ाज़ नहीं है जो pyari maa shayari माँ की तारीफ में काफी हो माँ अपने बच्चो के लिए कर दर्द हर परेशानी को बर्दाश्त करती है माँ के लिए दुन्या की कोई भी चीज़ ऐसी नहीं जिसको माँ अपने बच्चो के देना नहीं चाहती हो pyari maa shayari माँ हर वक़्त अपने बच्चो को कामयाब देखना और कामयाब बना चाहती है

meri pyari maa shayari

चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।

सर पर जो हाथ फेरे तो हिम्मत मिल जाये,
माँ एक बार मुस्कुरा दे तो जन्नत मिल जाये।

सीधा साधा भोला भाला मैं ही सब से सच्चा हूँ,
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ।

यूँ तो मैंने बुलन्दियों के हर निशान को छुआ,
जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।

वो लिखा के लाई है किस्मत में जागना,
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है।

ऐ अँधेरे देख मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया।

माँ पहले आँसू आते थे तो तुम याद आती थी,
आज तुम याद आती हो और आँसू निकल आते है।

बद्दुआ संतान को इक माँ कभी देती नहीं,
धूप से छाले मिले जो छाँव बैठी है सहेज।

सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है।

जब-जब कागज पर लिखा मैंने माँ का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गये चारों धाम।

कभी मुस्कुरा दे तो लगता है ज़िंदगी मिल गयी मुझको,
माँ दुखी हो तो दिल मेरा भी दुखी हो जाता है।

तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फलक,
मुझको मेरी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।

माँ मेरी खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है।

वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।

किसी भी ​मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
​शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता​।

नहीं हो सकता कद तेरा ऊँचा किसी भी माँ से ऐ खुदा,
तू जिसे आदमी बनाता है, वो उसे इंसान बनाती है।

सच्चे रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।

सर पर जो हाथ फेरे तो हिम्मत मिल जाये,
माँ एक बार मुस्कुरा दे तो जन्नत मिल जाये।

चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।

सूना-सूना सा मुझे ये घर लगता है,
माँ जब नहीं होती तो बहुत डर लगता है।

भूख तो एक रोटी से भी मिट जाती माँ,
अगर थाली की वो रोटी तेरे हाथ की होती।

माँग लूँ यह दुआ कि फिर यही जहाँ मिले,
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।

मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा
झुक कर करू तेरा सजदा
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा

हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं
पास बैठी अनमोल माँ को भूल गया मैं

हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं
पास बैठी अनमोल माँ को भूल गया मैं

माँ तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है

माँ की बूढी आंखों को अब कुछ दिखाई नहीं देता
लेकिन वर्षों बाद भी आंखों में लिखा हर एक अरमान पढ़ लिया

मुसीबतों ने मुझे काले बादल की तरह घेर लिया
जब कोई राह नजर नहीं आई तो माँ याद आई

घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए
लेकिन जब घर में माँ आई तब खुशियां आई

जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया
माँ ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया

घुटनों से रेंगते – रेंगते कब पैरो पर खड़ा हो गया
माँ तेरी ममता की छाँव में न जाने कब बड़ा हो गया

तुम क्या उसकी बराबरी करोगे
वो तुफानो में भी रोटिया सेक देती है
और वो माँ है जनाब डरती नहीं है
मुस्किलो को तो चूल्हे में झोक देती है

हजारो गम हो फिर भी में ख़ुशी से फुल जाता हूँ
जब हस्ती है मेरी माँ, मैं सारे गम भूल जाता हूँ

नहीं समझ पाटा इस दिखावे से क्या मिल जाता है
वो हाथ पर माँ खुदवाकर वृद्धाश्रम मिलने जाता है

हमे मांगना कहा चाहिए और हम मांगते कहा है
एक दिन रो पड़ा बहुत चिल्लाया
और भगवान के दरबार में जाकर कहने लगा की
तू क्यों नहीं सुनाता मेरी क्या दमदार मेरी दुआ नहीं है क्या
भगवान प्रकट हुए और कहने लगे की मांगने यहाँ क्यों चला आया
तेरे घर पर माँ नहीं है क्या

हालातो के आगे जब साथ न जुबा होती
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द
वो सिर्फ माँ होती है

उसके रहते जीवन में कभी कोई गम नहीं होता
दुनिया साथ दे या ना दे पर माँ का प्यार कभी कम नहीं होता

दास्तान मेरे लाड – प्यार की बस
एक हस्ती के इर्द – गिर्द घुमती है
प्यार जन्नत सा इसलिए लगता है
क्योकि ये भी मेरी माँ के कदमो को चूमती है

उसके होठो पर कभी बदुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो कभी कफा नहीं होती

वो जमी मेरा वो हो आसमान है
वो खुदा मेरा वो ही भगवान है
क्यों मैं जाऊ कही और उन्हें छोड़ कर
माँ के कदमो में तो सारा जहाँ है मेरा

तेरे ही आँचल में निकला बचपन
तुझ से ही तो जुडी हर धड़कन है
कहने को तो सब माँ कहते है उसे
लेकिन मेरे लिए तो मेरी माँ ही भगवान है

जो बना दे सारे बिगड़े काम
माँ के चरणों में होते है चारो धाम

माँ से बढ़कर कोई नाम क्या होगा
इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा
जिसके पैरो के निचे जन्नत है
उसके सर का मकाम क्या होगा

माँ है महोब्बत का नाम, माँ को हजारो सलाम
करदे फ़िदा जिंदगी, आये जो बच्चो के काम

pyari maa shayari

फुल कभी दोबारा नहीं खिलते
जन्म कभी दोबारा नहीं मिलता
मिलते है लोग हजार
लेकिन हजारो गलतिया माफ़ करने वाले माँ-बाप नहीं मिलते

हर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती है
दूर होते हुए भी वो दिल के पास होती है
जिसके सामने मौत भी अपना सिर झुका दे
वह और कोई नहीं बस माँ होती है

सुना – सुना सा मुझे घर लगता है
माँ नहीं होती तो बहुत डर लगता है

दावा जब असर ना करे तो नजर उतारती है
और ये माँ है जनाब हार कहा मानती है

पूछता है जब कोई दुनिया में महोब्बत है कहाँ
मुस्कुरा देता हूँ और याद आ जाती है माँ

शर्त लगी थी जब पूरी दुनिया को एक ही शब्द में लिखने की
वो किताबो में ढूंढ रहे थे और मैंने माँ लिख दिया

चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

किसी भी ​मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता
​शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता​

उमर भर तेरी मोहब्बत मेरी खिदमतगार रही माँ
मैं तेरी खिदमत के काबिल जब हुआ तू चली गयी माँ

सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते

सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है

जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए
कि मेरी माँ दिए से मेरे लिए काजल बनाती है

माँ तो जन्नत का फूल है
प्यार करना उसका उसूल है
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है
माँ की हर दुआ कबूल है

माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी

pyari maa shayari

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ

ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमा कहते है
और इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है

बहुत बुरा हो फिर भी उसको बहुत भला कहती है
अपने नाकारा बेटे को भी माँ दूध का धुला कहती है

नहीं हो सकता कद तेरा ऊँचा किसी भी माँ से ए खुदा
तू जिसे आदमी बनाता है, वो उसे इन्सान बनाती है

मांग लूँ यह दुआ कि फिर यही जहाँ मिले
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले

है गरीब मेरी माँ फिर भी मेरा ख्याल रखती है
मेरे लिए रोटी और अपने लिए पतीले की खुरचन रखती है

माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा

जब जब कागज पर लिखा, मैने “माँ” का नाम
कलम अदब से बोल उठी, हो गये चारो धाम

pyari maa shayari

मेरी तक़दीर में कभी कोई गम नही होता
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता

जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ
मेरे रब के बाद मैं बस अपनी माँ को जानता हूँ

जन्नत का हर लम्हा, दीदार किया था
गोद मे उठाकर जब माँ ने प्यार किया था

कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती
सब कुछ मिल जाता है पर माँ नहीं मिलती

तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं
माँ मेंहगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं

माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ
थक गया हूँ मुझे अपने आँचल मे सुलाओ
उंगलियाँ अपनी फेर कर बालो में मेरे
एक बार फिर से बचपन कि लोरियां सुनाओ

डांट कर बच्चो को खुद अकेले में रोटी है
वो माँ है साहब जो ऐसी ही होती है

ना अपनों से खुलता है और ना ही गैरो से खुलता है
जन्नत का दरवाजा मेरी माँ के कदमो से खुलता है

ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं

कदम जब चूमले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है
दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है

उसकी होठो पे कभी बदूआ नही होती
बस एक माँ है जो कभी खफा नही होती

माँ-बाप से बढ़कर इस दुनिया मेरा कोई भगवान नहीं
चूका पाऊ उनके ऋण को इतनी मेरी औकात नहीं

Delhi Sultanate

Neeraj Yadav

मैं नीरज यादव इस वैबसाइट (ThePoetryLine.in) का Founder और एक Computer Science Student हूँ। मुझे शायरी पढ़ना और लिखना काफी पसंद है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button