Top Sad Shayari in Hindi सैड शायरी हिंदी में

Top 20 Sad Shayari in Hindi अगर आप किसी चीज़ को लेकर उदास है। आपको अच्छा नहीं लग रहा है या आपको किसी की याद सता रही है। तो हमने आपके लिए यहाँ बहुत सारी सैड शायरियाँ (Sad Shayari for Status) जमा की है। ये शायरियाँ आपको अच्छा एहसास करवाएँगी। आप इन्हे किसी के लिए WhatsApp स्टेटस, Facebook status भी लगा सकते हो।

Top Sad Shayari in Hindi

हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।

वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
बहुत उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी।

मुझे ये डर है तेरी आरजू न मिट जाये,
बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं।

चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,
इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं,
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,
अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।

तलाश उसकी करो जो किसी के पास न हो,
भुला दो उसे जिस पर विश्वास न हो,
हम तो अपने ग़मों पर भी हँस पड़ते हैं,
वो इसलिए कि सामने वाला उदास न हो

एक ये ख्वाहिश के कोई ज़ख्म न देखे दिल का,
एक ये हसरत कि कोई देखने वाला तो होता

रुसवा कर के निकला तेरे शहर वालों ने मगर,
तू अब भी यही सोंच, मैं तुझे छोड़ आया

ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक,
न लो इंतकाम मुझसे मेरे साथ-साथ चल के

सिर्फ चेहरे की उदासी से
भर आये तेरी आँखों में आँसू,
मेरे दिल का क्या आलम है
ये तो तू अभी जानता ही नहीं।

उसे जाने की जल्दी थी
तो मैं आँखों ही आँखों में,
जहाँ तक छोड़ सकता था
वहाँ तक छोड़ आया हूँ

कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी,
कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा

इक तेरे बगैर ही न गुजरेगी ये ज़िंदगी मेरी,
बता मैं क्या करूँ सारे ज़माने की ख़ुशी लेकर

वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है,
बहुत अजीज़ हमें है मगर पराया है,
उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं,
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है

हमने तेरे बाद न रखी किसी से मोहब्बत की आस,
एक शख्स ही बहुत था जो सब कुछ सिखा गया

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मोहब्बत न हुई।

जो शख्स मेरी हर कहानी हर किस्से में आया,
वो मेरा हिस्सा होकर भी मेरे हिस्से में नहीं आया

जो तुम बोलो बिखर जाएँ जो तुम चाहो संवर जायें,
मगर यूँ टूटना जुड़ना बहुत तकलीफ देता है

ज़ख्म क्या क्या न ज़िन्दगी से मिले,
ख्वाब पलकों से बे-रुखी से मिले,
आप को मिल गए हैं किस्मत से,
हम ज़माने में कब किसी को मिले?

कोई मिला ही नहीं जिस को सौंपते मोहसिन,
हम अपने ख्वाब की खुशबू, ख्याल का मौसम

वो ज़हर देता तो दुनिया की नजरों में आ जाता,
सो उसने यूँ किया कि वक़्त पे दवा न दी।

माना कि किस्मत पे मेरा कोई जोर नहीं,
पर ये सच है कि मोहब्बत मेरी कमज़ोर नहीं,
उसके दिल में, यादों में कोई और है लेकिन,
मेरी हर साँस में उसके सिवा कोई और नहीं

एक तुम ही मिल जाते बस इतना काफ़ी था,
सारी दुनिया के तलबगार नहीं थे हम।

रोज ख्वाबों में जीते हैं वो ज़िन्दगी,
जो तेरे साथ हक़ीक़त में सोची थी कभी

ठोकर न लगा मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख कोई मंज़र नहीं हूँ मैं,
उनकी नजर में मेरी कदर कुछ भी नहीं,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल नहीं हूँ मैं

तुम्हारी तलाश में निकलूँ भी तो क्या फायदा..?
तुम बदल गए हो, खो गए होते तो और बात थी

फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मत-ए-शब,
जब अपने घर के चरागों से रोशनी न मिली

सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा,
अब हमको रूठ जाने की आदत नहीं रही

वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह,
काश… मैं भी किसी शाम का मंज़र होता

ये तेरा खेल न बन जाए हक़ीकत एक दिन,
रेत पे लिख के मेरा नाम मिटाया न करो

कल क्या खूब इश्क़ से इन्तकाम लिया मैंने,
कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे जला दिया

औरों के पास जा के मेरी दास्तान न पूछ,
कुछ तो मेरे चेहरे पे लिखा हुआ भी देख।

प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं,
बेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।

अब भी इल्जाम-ए-मोहब्बत है हमारे सिर पर,
अब तो बनती भी नहीं यार हमारी उसकी

मुद्दत से थी किसी से मिलने की आरज़ू,
ख्वाहिश-ए-दीदार में सब कुछ गँवा दिया,
किसी ने दी खबर कि वो आयेंगे रात को,
इतना किया उजाला कि घर तक जला दिया।

किसी को इतना मत चाहो कि भुला न सको,
यहाँ मिजाज बदलते हैं मौसम की तरह

अब सोचते हैं लाएँगे तुझ सा कहाँ से हम,
उठने को उठ तो आए तेरे आस्ताँ से हम

न जाने क्यूँ वक़्त इस तरह गुजर जाता है,
जो वक़्त था वो पलट कर सामने आता है,
और जिस वक़्त को हम दिल से पाना चाहते हैं,
वो तो बस एक लम्हा बनकर बीत जाता है

राह-ए-वफ़ा में किसका किसने दिया है साथ,
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले।

ऐसा नहीं कि शख्स अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था बस वैसा नहीं था वो

आजकल के रिश्ते ऐसे रास्तों पर जा रहें,
जहां ना वो साथ छोड़ रहें और
ना ही साथ निभा पा रहें है।

जिंदगी तो कट ही जाएगी
बस एक गम जिंदगी भर
रहेगा कि हम उसे पा ना सके

टूट कर बिखर जाते है वो लोग काँच की तरह
जो खुद से ज्यादा दूसरों से इश्क करते है।

जमाने से नहीं तनहाई से डरता हूँ,
प्यार से नहीं बेवफ़ाई से डरता हूँ,
मिलने की इच्छा बहुत होती है, लेकिन
मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरता हूँ॥

सारी दुनियाँ को छोड़ सिर्फ तुझे दिल से लगाया था,
छोड़ कर जा तो रहे हो लेकिन सदियों तक
याद करोगे कि किसी ने इतनी सिद्दत से हमे भी चाहा था!!

तकलीफ इस बात की नहीं कि तुम्हें कोई और अजीज है,
दर्द तो इस बात का है कि हम नजर अंदाज किए गए॥

तुम भूल जाना मुझे
किसी अंजनबी की तरह
मैं तुम्हें याद रखूँगा
अपनी जिंदगी की तरह

अगर मेरे नाम से कभी
दिल धडक उठे तुम्हारा
तो समझ लेना ये प्यार
सच्चा था हमारा

मेरी गुस्ताखियों को माफ करना
ओ जाने वाले, मैं तुम्हें तुम्हारी इजाजत
के बिना भी कभी याद कर लेती हूँ॥

चुप हूँ तो पत्थर ना समझ,
हमें दिल पर असर हुआ है
तेरी इन बातों का

हर अकेली रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
और जब सोचते है कर ले फिर से मोह्हबत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।।

एक अधूरी बात है कहनी थी,
जो उस वक्त कभी न कह पाये,
जानते थे इस प्यार का अंजाम…
फिर भी तुम्हारे लिए आसू थे बहाये।

बेपनाह मोह्हबत की आदत डाल कर,
अब वो कहते है वक्त नहीं है।।

अरे कभी जुदा हुए ही नहीं हम उनसे,
बस वो कही और दिल लगाये बैठे है।।

रह गया हो कोई इल्ज़ाम तो वो भी लगा दो,
पहले से बुरे थे, अब और थोड़ा बना दो।

नाराज़ हो कोई तो मना लिया करो जनाब,
जिंदगी लग जाती है किसी को अपना बनाने में।


हमारी सच्ची मोह्हबत का उन्होंने ये सिला दिया,
पहले अपनी नज़रों से गिराया हमें
फिर हमारे रहते हुए किसी और को अपना लिया।।

इस प्यार की कशमकश से परेशां बहुत है,
दिल को न उलझाओ, दिल नादाँ बहुत है,
यूँ सामने आकर, नज़रे न मिलाना,
किये थे जो वादे उससे मुकर जाना आसान बहुत है।

सोचते थे जुदा होकर भी वो याद करते होंगे,
उनकी नाराज़गी का अंदाज़ तो तब हुआ
जब उन्होंने भरी महफ़िल में,
हमें पहचानने से मना कर दिया।

 Indian Ocean


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