वो फौजी है!
वो फौजी है!
नाज है हिंदुस्तान के हर फौजी पर
शिकायत है तो बस इतनी….
ये वादे निभाना नहीं जानता।
वो फौजी है!
नाज है हिंदुस्तान के हर फौजी पर
शिकायत है तो बस इतनी….
ये वादे निभाना नहीं जानता।
लोकतंत्र में किस प्रकार मजदूर वर्ग को नजंदाज किया गया और किस प्रकार की परेशानियां उनको भोगना पड़ा वो सब मजदूर खुद कहना चाहते है जो मैने शब्दो के माध्यम से अभिव्यक्त की है। क्या यह एक लोकतांत्रिक गणराज्य में सही है ??
याद उसे भी आती होगी,
कभी बहन, कभी बेटी की चिंता सताती होगी,
माँ-बाप बूढ़े हो गए है अब, उनकी आँखें उसे बुलाती होगी,
ये सोचकर आँख उसकी भी भर आती होगी।
याद उसे भी आती होगी—2