परी से मुलाकात- नम्रता शुक्ला

परी से मुलाक़ात (हिन्दी कविता)- नम्रता शुक्ला

चलते – चलतेयूंही एक दिनएक परी से मुलाकात हो गई।वो सड़क के पार खड़ी थीउसे गोद में उठाने की चाहमुझे उस तक ले गई।। ज्यों ही मैने उसे उठाया,उसकी आंखों में खुद को पाया।ध्यान से देखा आंखों मेंअजनबी सी थी मेरी छाया।। किसी जादूगर सा सम्मोहनथा उसकी आंखों में।चेहरा था उसका भोला सा,और हल्की शरारत … Read more

दिन ढलने लगा है! – नम्रता शुक्ला

namrata shukla poetry

घड़ी का काटाआहिस्ता बढ़ने लगा है।आ गई है शामदिन ढलने लगा है।। ये हल्की हल्की महक बता रही हैभीतर कोई पकौड़ेतलने लगा है।तुम्हारे हाथों की बनीएक प्याली चाय कोमन मचलने लगा है।आ गई है शामदिन ढलने लगा है।। आओ बैठो पास जरा तुमकुछ सूख दुख बतियाते हैं।काम तुम्हारा लगा उम्रभरकुछ पल साथ बिताते हैं।वो देखोउस … Read more

गुस्ताखियां..! – नम्रता शुक्ला

namrata shukla poetry-गुश्ताखियाँ

गुस्ताखियां तो देखिए..!अंधेरी रात में जुगनुओं कोखफा कर बैठे।हाल – ए – दिलजो कभी कहा नहीं किसी सेकल रातहम उसे जुबां कर बैठे।।जरा सी रोशनी की गुजारिशक्या की हमनेये गुस्ताख..हमारा ही राज हमसेबयां कर बैठे।और……!बड़ी मुश्किल से मुकम्मल कियाख्वाब हमने ….खलल डालकरये बेवजह हमसेदगा कर बैठे।।गुस्ताखियां तो देखिए…! ~ नम्रता शुक्ला यह भी पढ़े-