Tanhai shayari In Hindi/तन्हाई शायरी हिंदी में

Tanhai shayari In Hindi/तन्हाई शायरी हिंदी में जब किसी को दिल पर चोट लग जाती है तो वो ऐसे में अकेले में तनहा रहना रहना पसंद करता है और तन्हाई में खुद से ही बाते करता है और तन्हाई को ही पसनद करता है और उसको तनहा ही रहने में ख़ुशी मिलती है वो लोगो से दूर ही जाने लगता है कुछ लोग अपने आप को माहौल के साथ बदल लेते है और कुछ नहीं बदल पते और वो खुद को तनहा ही रखने में खुसी समझते है और कुछ लोग अपनी तन्हाई में शायरी करना पसंद करते है और शायरी को पंसद करते है ऐसे ही अपने दोस्तों के लिए आज हम तन्हाई शायरी कीमिस पोस्ट को अपने दोस्तों को तन्हाई में शायरी करना और शायरी पढ़ना बहुत आसान कर रहे है हमारे उन दोस्तों को अब तन्हाई शायरी आसानी से मिल जायगी जो हमारे दोस्त शायरी को समझते यही और शायरी पसंद करते है शायरी में तन्हाई और तन्हा रहने वाले हमारे दोस्त अकेला रहना और शायरी करना या शायरी पढ़ना या शायरी के स्टेटस पोस्ट करना कहते है तो यहाँ पर आसान हो जायगा आपके लिए इसके अलावा भी और भी शायरी हम पोस्ट कर चुके है और आगे भी करते रहेंगे तन्हाई शायरी / love quotes in hindi for girlfriend/sad shayari in hindi/ love shayari/ma shayari in hindi/romantic shayari in hindi ऐसे ही और शायरी देखने के लिए आप हमारे पेज पर आ कर इस तरह की और भी शायरी मिल जायँगी यहाँ पर हम आपके लिए बहुत साडी शायरिया लाये है लव से लेकर बेवफाई और दर्द शायरी सब यहाँ पर मिलने वाली है

तन्हाई में जब जब तेरी यादों से मिला हु मेहसुसु हुआ के तुझे देख रहा हु / ये तन्हाई शायरी का मज़ा ऐसे ही दिल चस्प शायरिया है हमारे पास आपके लिए चले अभी के लिए तन्हाई शायरी देखते है

Tanhai shayari In Hindi

Tanhai shayari In Hindi

अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है
कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है

अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

घर में तिरे पैग़ाम को तरसें
बाहर जल्वा-ए-बाम को तरसें

तुम सूरज और चाँद से खेलो
हम कि चराग़-ए-शाम को तरसें

तुम कि शिकस्त-ए-जाम के आदी
हम कि शिकस्ता जाम को तरसें

हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे,
​तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर

कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है

मैंने तन्हाई में हमेशा तुम्हे पुकारा है,
सुन लो गौर से ऐ सनम, तेरे बिना
ज़िंदगी अधूरी सी लगती है

तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,
मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया

एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी

मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे
छोड़ दूँ ! इस तन्हाई ने तन्हाई में
तनहा मेरा साथ दिए है

मुझे तन्हाई की आदत है
मेरी बात छोडो, तुम बताओ कैसी हो

चलते-चलते अकेले अब थक गए हम,
जो मंज़िल को जाये वो डगर चाहिए,
तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं,
अब हमको भी एक हमसफ़र चाहिए

जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था

यादों में आपके तनहा बैठे हैं,आपके
बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं,
आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो,
इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं

तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे,
तुझपे गुजरे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की

Tanhai shayari In Hindi

Tanhai shayari In Hindi

इस तन्हाई का हम पे बड़ा एहसान है
साहब न देती ये साथ अपना तो जाने
हम किधर जाते.

कहीं पर शाम ढलती है कहीं पर रात होती है,
अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है,
तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती,
तन्हाई में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है

शायद इसी को कहते हैं मजबूरी-ए-हयात,
रुक सी गयी है उम्र-ए-गुरेजां तेरे बगैर

सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का,
मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता

अब तो हसरत ही नहीं रही
किसी से वफ़ा पाने की दिल इस क़दर
टूटा है की अब सिर्फ तन्हाई अच्छी लगती है

तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ,
के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले

मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए

वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा,
मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है… तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है

अब तो याद भी उसकी आती नहीं,
कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ

आँखें फूटें जो झपकती भी हों,
शब-ए-तन्हाई में कैसा सोना

आँखें फूटें जो झपकती भी हों,
शब-ए-तन्हाई में कैसा सोना

कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,
अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे

ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है
दोस्तों, जिसको कोई मिल गया वो
और तन्हा हो गया

शाम-ए तन्हाई में इजाफा बेचैनी,
एक तेरा ख्याल न जाना एक दूसरा तेरा जवाब न आना

तन्हाई शायरी हिंदी में

tanha kar jati hai

आज की रात… जो मेरी तरह तन्हा है,
मैं किसी तरह गुजारूँगा चला जाऊंगा,
तुम परेशाँ न हो बाब-ए-करम-वा न करो,
और कुछ देर पुकारूंगा चला जाऊंगा

जब से देखा है चाँद को तन्हा,
तुम से भी कोई शिकायत ना रही

छोड कर जाना सोची समझी साजिश थी …
वर्ना तुम तो झगड़ा भी कर सकती थी

तुझ पे खुल जाती मेरे रूह की तन्हाई भी,
मेरी आँखों में कभी झांक के देखा होता

मैं हूँ दिल है तन्हाई है,
तुम भी जो होते तो अच्छा होता

तन्हाई में नींद नहीं आती हमे
गुज़र जाती है हर रात किसी को याद
करते करते

इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं,
जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता बारे में क्या सोचते हैं
बस मेरा खुदा जनता है की मेने कभी किसी का
बुरा नहीं चाहा है

मतलब की दुनिया थी
इसलिए चोर दिया सबसे मिलना
वरना ये छोटी सी उम्र तन्हाई
के क़ाबिल न थी

किसी को प्यार की सच्चाई मार डालेगी,
किसी को दर्द की गहराई मार डालेगी,
मोहब्बत में बिछड़ के कोई जी नहीं सकता,
और बच गया तो उसे तन्हाई मार डालेगी

तू ना निभा सकी तो क्या मै अपनी मोहब्बत
को अंजाम दूंगा तुझसे मिलना ना हुआ नसीब
में तो क्या हुआ मै अपनी औलाद को तेरा नाम दूंगा

तेरे बिना ये कैसे गुजरेंगी मेरी रातें,
तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें,
बहुत लम्बी हैं ये घड़ियाँ इंतज़ार की,
करवट बदल-बदल के कटेंगी ये रातें

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा

मेरी कमी बताने वाले खुद की कमी
तोह देखो तुम.. जो आइना मुझे दिखा
रहे हो वो खुद भी कभी देखो तुम।

ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में तिरी याद
आँखें दुखाने लगी

Zara Der Beth Tanhai Me

wo puchte hai hum se

गलतियां की थी मेने पर
इतनी भी बड़ी नहीं जितनी बड़ी
सजा मिल रही है

तन्हाई से तँग आकर हम मोहब्बत की तलाश मैं निकले थे….
लेकिन मोहब्बत ऐसी मिली कि तनहा कर गयी

कितनी अजीब है मेरे अंदर की तन्हाई भी
हज़ारों अपने है मगर याद तुम ही आते हो

तन्हाई ना पाए कोई साथ के बाद,
जुदाई ना पाए कोई मुलाकात के बाद,
ना पड़े किसी को किसी की आदत इतनी,
कि हर सांस भी आए उसकी याद के बाद

बता दो मुझे ज़रा की मेरा तुम्हे
चाहना गलत है क्या ?
क्यों नहीं बन रही बात अपनी
किसी और से मोहब्बत है क्या

हमारे चले जाने के बाद,
ये समुंदर भी पूछेगा तुमसे,
कहा चला गया वो शख्स
जो तन्हाई मे आ कर,
बस तुम्हारा ही नाम लिखा करता था

दिल की तन्हाई को Post बना लेते है
दर्द जब हद से गुजरता हैं,
तो Facebook चला लेते हैं

वो उँगलियों पे गिनते हैं ज़ुल्म जिनका
कुछ हिसाब नही तुम नहीं, गम नहीं,
शराब नहीं ऐसी तन्हाई का जवाब नही.

तन्हाई में मुस्कुराना भी इश्क़ है
और इस बात को सबसे छुपाना भी इश्क़ है

कितना भी दुनिया के लिए हँस के
जी लें हम, रुला देती है फिर भी
किसी की कमी कभी-कभी

किसी के लिए आंसूं बहाने से कोई
अपना नहीं होता जो अपना
होता है वो कभी रोने नहीं देता।

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं,
कि नाश्ते मैं पोहा होता तो कैसा होता?
साथ जलेबी पानी पुरी होती तो कैसा होता

रात की तन्हाई मैं तो हर
कोई याद कर लेता है…
सुबह उठा ते ही जो याद आये
मोहब्बत उसे कहते हैं

यादों की अर्थी तन्हाई का क़फ़न गम का तकिया,
इंतज़ार तो सब हो गया बस नींद का आना बाक़ी हैं

कुछ सोचो तो तेरा ख्याल आता है
कुछ बोलूं तो तेरा नाम आता है
काब तक छुपाऊ में अपने दिल की बात
उस की हार अदा पे हमें प्यार आता है

तन्हाई का उसने मंज़र नहीं देखा,
अफ़सोस की मेरे दिल के अन्दर नहीं देखा,
दिल टूटने का दर्द वो क्या जाने,
वो लम्हा उसने कभी जी कर नहीं देखा

Tanhai Ka Manzar Shayari

tanhai ka usne manzar nahi dekha

उनके जाने के बाद,तन्हाई का सहारा मिला है
इसकी आगोश में आये, फिर निकलना नही आया.

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है

मुश्किल की घडी जहन में उनका
नाम आता है जमाना छोड़ देता है
जब भी वो काम आता है।

जो रूह की तन्हाई होती हैं ना,
उसको कोई ख़त्म नही कर सकता

तुम नहीं अब जहाँ में तनहा से हैं
हम यहाँ बुला लो मुझे अपने जहाँ में
दे न पाव तन्हाई का इम्तेहान

लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,
इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक

उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गलियों में हम,
महफ़िल में रह के भी रहे तन्हाइयो में हम,
दीवानगी नहीं तो और किया कहे इसे,
इंसान ढूंढते रहे परछाइयों में हम

अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात…
खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन

कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमको जरा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई

रिश्ते छूट रहे हैं लोगों को परवाह नहीं है
मोबाइलों के अलावा कहीं निगाहें नहीं है
सामने बैठकर घंटों मोन रहते है यूँ तो
रिप्लाई आये ना तो चेहरे पे लाह नहीं है

मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,
बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।

मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी

इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़ !
की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है

कुछ देर बैठी रही पास, और फिर
उठ कर चली गई गुरुर तो देखो तन्हाई
का ये भी बेवफ़ा हो कर चली गई.

वक़्त बहुत कुछ चीन लेता है
खैर मेरी तोह सिर्फ मुस्कराहट
खुशियां और रातों की नींद थी

बदनामी के दर से मैं रो भी नहीं पा रहा ,
तेरी याद के साये में मैं सो भी नहीं पा रहा।
सोचा के तुझे भूल कर और किसी को याद करू ,
पर लाख कोशिशों के बावजूद मैं किसी और
के ख्यालो में खो भी नहीं पा रहा

बदनामी के दर से मैं रो भी नहीं पा रहा ,
तेरी याद के साये में मैं सो भी नहीं पा रहा।
सोचा के तुझे भूल कर और किसी को याद करू ,
पर लाख कोशिशों के बावजूद मैं किसी और
के ख्यालो में खो भी नहीं पा रहा

लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है,,,,
की कहाँ है वो,,,,
मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ…

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