Taqdeer Likhne Wale / तक़दीर लिखने वाले
Taqdeer Likhne Wale / तक़दीर लिखने वाले लोग बोलते है तक़दीर खुद लिखी जाती है सही बोलते है पर असा नहीं है की तक़दीर हम लिखे पर ऐसा भी नहीं की तक़दीर हमे बनाने का मौका नहीं मिलता है सब को अपनी तक़दीर बनाने का मौका ज़रूर मिलता है इंसान के समझने के ऊपर है कुछ लोग सब कुछ किस्मत के भरोसे छोड़ कर बैठ जाते है ऐसा करने वाले कभी तक़दीर नहीं बना पते तक़दीर वही बना पते है जो अपनी मेहनत पर भरोसा करते है और बहुत मेहनत करते है उन लोगो को मौका मिलता है की वो अपनी तक़दीर को सवार सके और अपनी तक़दीर बना सके और उनकी तक़दीर बन भी जाती है जब बात मोहब्बत की होती है. तब अपने pyar पर आपका बस कुछ हद तक ही चल सकता है. कुछ बातें आपके बस में बिल्कुल भी नहीं होती है. और तब इंसान अपनी तक़दीर , अपने नसीब पर भरोसा करने लगता है. लेकिन ऐसा करने से कई बार वह अंदर ही अंदर जैसे टूट जाता है. और कुछ उसी तरह के खयालात हम किस्मत शायरी की मदद से आपके सामने लेकर आए हैं.आप हमारी शायरी के ज़रिये अपने चने वालो को अपने दोस्तों को अपनी मोहब्बत को किसी को भी शेर करो आपके लिए बहुत अच्छी होने वाली है हमारी यह शायरी और ऐसी ही और भी शायरिया आपके लिए हमारी इस पोस्ट के ज़रिये आप हमारी सब ही पोस्ट पर आ सकते है तो चलिए दोस्तों बिना देर किए हमारे taqdeer Kismat Shayari के ख्यालात सुने. हमें यकीन है कि आप हमारे मुकद्दर स्टेटस को सुनकर नसीब के भरोसे ना रहते हुए, अपने काम और मेहनत पर जरूर ध्यान दोगे. alone status in hindi
Taqdeer Likhne Wale / तक़दीर लिखने वाले
तकदीर लिखने वाले एक एहसान लिख दे,
मेरी मोहब्बत की तकदीर में मुस्कान लिख दे,
ना मिले ज़िन्दगी में कभी भी दर्द उसको,
चाहे उसकी किस्मत में मेरी जान लिख दे।
इश्क करना तो लगता है जैसे,
मौत से भी बड़ी एक सजा है,
क्या किसी से शिकायत करें हम,
जब अपनी तकदीर ही बेवफा निकली।
किसी की तकदीर अगर रूठ जाये,
उसको कोई भी किनारा नहीं मिलता,
गैरों की बात ही छोड़ो दोस्तों,
अपनों का भी सहारा नहीं मिलता।
अगर यकीन होता की कहने से रुक जायेंगे,
तो हम भी हँसकर उनको पुकार लेते,
मगर नसीब को मेरे ये मंजूर नहीं था,
के हम भी दो पल खुशी से गुजार लेते।
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि
हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे
बता तेरी रज़ा क्या है~इक़बाल
अपने प्यार को देख कर
अक्सर ये एहसास होता है,
जो तक़दीर में नहीं होता
वही इंसान ख़ास होता है.
देख कर मेरा नशीब मेरी तकदीर रोने लगी
लहू के अल्फाज़ देखकर तहरीर रोने लगी
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई
सूरत को देखकर खुद तस्वीर रोने लगी
चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे
शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली
तेरे दामन में गुलिस्तान भी हैं वीराने भी,
मेरा हासिल मेरी तकदीर बता दे मुझको.
टूट कर चाहने वालो के दिल क्यों टूटते हैं ….
इश्क की राहों में ही ज्यादा कांटे क्यों मिलते हैं !
जिनके दिल मिलते हैं …..
उनके तकदीर क्यों नही मिलते हैं !!
राहों में सिर्फ पत्थर ही क्यों मिलते हैं ….
एक पल की ख़ुशी के लिए तड़प जाते वो हैं !!!
उन्हें बहाने के लिए सिर्फ आंसू मिलते हैं ….
प्यार के फूल तो उनके लिए बागों में भी नही खिलते हैं
Taqdeer Likhne Wale / तक़दीर लिखने वाले
तक़दीर लिखने वाले एक एहसान कर दे
मेरे दोस्त की तक़दीर में एक और मुस्कान लिख दे
न मिले कभी दर्द उनको
तू चाहे तो उसकी किस्मत मैं मेरी जान लिख दे
तक़दीर के आईने में मेरी तस्वीर खो गई आज
हमेशा के लिए मेरी रूह सो गई मोहब्बत
करके क्या पाया मैंने वो कल मेरी थी
आज किसी और की हो गई
मुझे मालूम है मेरा मुक़द्दर तुम नहीं,
लेकिन मेरी तक़दीर से
छुप कर मेरे इक बार हो जाओ.
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर ‘वक़्त’ गुजार लिया!
प्यार की कली सबके लिए खिलती नहीं
चाहने पर हर एक चीज मिलती नहीं
सच्चा प्यार किस्मत से ही मिलता है
और हर किसी को ऐसी तकदीर मिलती नहीं
मुझे मालूम है
मेरा मुक़द्दर तुम नहीं… लेकिन….
मेरी तक़दीर से छुप कर
मेरे इक बार हो जाओ..
ये तकदीर भी अजीब चीज़ है दोस्तों..
इनके दायरे में बस कमाल होता है
किसी की तकदीर अगर रूठ जाये
उसको कोई भी किनारा नहीं मिलता
गैरों की बात ही छोड़ो दोस्तों
अपनों का भी सहारा नहीं मिलता
कड़ी से कड़ी जोङते
जाओ तो जंजीर बन जाती है,
मेहनत पे मेहनत करो
तो तक़दीर बन जाती है
Taqdeer Likhne Wale / तक़दीर लिखने वाले
सांसों में बगावत का सुख़न बोल रहा है,
तक़दीर के फ़र्ज़ंद का दिल डोल रहा है.
ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भी!
फर्क तो रंगों का है!
मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर;
और अनजाने रंगों से बने तो तकदीर!
मेरी मोहब्बत की तक़दीर देखो
जो रूठे थे उनके पैगाम आ रहे हैं
जब मार डाला मेरी प्यास ने मुझको
वो आँखों में लेकर जाम आ रहे हैं
हमारी रहगुज़र मे देखो
कया हम पे गुजर रही है ,
हम तो लिख रहे है तक़दीर
मगर जाने कयो हर तस्वीर बदल रही है
कभी जो मुझे हक मिला
अपनी तकदीर लिखने का
कसम खुदा की तेरा नाम
लिख कर कलम तोड़ दूंगा
लिखी खुदा ने मोहब्बत सबकी तक़दीर में,
हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई.
तक़दीर के पन्ने ख़ाली हैं
औरभरे हैं हाथ लकीरों से..
वो मुझे, हर जगह मिला,
एक मेरी, तकदीर के सिवा.
क्या गजब की तकदीर पायी है
उस इंसान ने
जिसने तुझसे मोहोब्बत भी नही की
और तुझे पा लिया
ये बात और है
के तक़दीर लिपट के रोई वरना
बाज़ू तो हमनें तुम्हे देख कर ही फैलाए थे
कुछ इस तरह से बुनेंगे
हम अपनी तक़दीर के धागे,
की अच्छे अच्छो को
झुकना पड़ेगा हमारे आगे.
Taqdeer Likhne Wale / तक़दीर लिखने वाले
क्या पानी पे लिखी थी
मेरी तकदीर मेरे मालिक,
हर ख्वाब बह जाता है,
मेरे रंग भरने से पहले ही
इश्क करना तो लगता है जैसे
मौत से भी बड़ी एक सजा है
क्या किसी से शिकायत करें हम
जब अपनी तकदीर ही बेवफा निकली
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो “तक़दीर” लेकर आता है.
प्यार तो तकदीर में
लिखा होता है…
किसी के लिए तड़पने से
कोई अपना नहीं होता है
कुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपने;
कुछ गैरों ने बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने
कुछ इस तरह बुनेंगे हम अपनी तकदीर के धागे,
कि अच्छे अच्छो को झुकना पड़ेगा हमारे आगे.
कितने मज़बूर है हम तकदीर के हाथो..
ना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ,
और ना तुम्हे खोने का हौसला
मेरी झोली मे कुछ
अल्फ़ाज़ दुआ के डाल दो
क्या पता तुम्हारे लब हिले
और मेरी तक़दीर संवर जाऐ
तेरे दामन में गुलिस्ता भी है, वीराने भी
मेरा हासिल मेरी तक़दीर बता दे मुझको
तकदीर लिखने वाले एक एहसान लिख दे,
मेरे प्यार की तकदीर में मुस्कान लिख दे,
ना मिले जिंदगी में कभी भी दर्द उसको,
चाहे उसकी किस्मत में मेरी जान लिख दे
तक़दीर ने हमें आज़माया बहुत
हमने उसे मनाया बहुत
जिसकी ज़िंदगी ख़ुशियों से
सजा दी उसी शख़्स नें हमें रुलाया बहुत
तक़दीर लिखने वाले
जहाँ जहाँ लिखीं मेरी किरदार में ज़िल्लतें…
वहीँ वहीँ लिए फिरती है ये तक़दीर मुझे
वो अपनी निगाहों से हमें मार गये,
हम तकदीर की अदाकारी से हार गये.
वक़्त मेरी तबाही पे हँसता रहा बार बार,
नजाने रंग मेरी तकदीर क्या क्या बदलती रही.
मेहरबानी जाते-जाते मुझपे कर गया
गुज़रता सा लम्हा एक दामन भर गया
तेरा नज़ारा मिला, रौशन सितारा मिला
तक़दीर की कश्तियों को किनारा मिला
मैं तेरे नसीब की बारिस नहीं
जो तुज पे बरस जाऊ।।
तुझे तक़दीर बदल नि
होगी मुझे पाने के लिए
तेरे दामन में गुलिस्तां भी है वीराने भी,
मेरा हासिल मेरी तकदीर बता दे मुझको.
अपनी तक़दीर की आजमाइश ना कर
अपने गमो की नुमाइश ना कर
जो तेरा है तेरे पास खुद आएगा
रोज रोज उसे पाने की ख्वाहिश ना कर
हाथों की लकीरों पर
बराबर विश्वास नही करना चाहिए
तक़दीर तो उनकी भी
होती है जिनके हाथ नही होते
नाकामी का इमकान भी मुम्किन ना रहेगा,
तक़दीर से मिल कर कोई तदबीर करेंगे.
गिरा है टूट कर शायद मेरी तक़दीर का तारा
कोई आवाज़ आई थी शिकस्त-ए-जाम से पहले
तक़दीर लिखने वाले
आँसूओ की बूंदों से तेरी तस्वीर बना दूँ
तू एक बार पलट के देखले
तुजे अपनी तक़दीर बना दूँ
फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में; फर्क होता है
किस्मत और लकीर में; अगर कुछ चाहो और
न मिले तो समझ लेना;
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
वक़्त से लड़ कर जो अपना नसीब बदल दे
इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे
कल क्या होगा कभी न सोचो
क्या पता कल वक़्त खुद अपनी तस्वीर बदल ले
बिन माँगे मिल जाए मोती
तो इस को तक़दीर कहो
दामन फैला कर दुनिया
मिल जाए तो ख़ैरात हुई
तक़दीर का ही खेल है सब,
पर ख़्वाहिशें है की समझती ही नहीं.
इक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए
गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे
क्या इनसे किसी कौम
की तक़दीर बदल दोगे
मैंने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है,
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्यो नही.
घर का बोझा उठाने वाले
बचपन की तक़दीर न पूछ,
बच्चा घर से काम पे निकला,
और खिलौना टूट गया।
तक़दीर को कुछ इस तरह
से अपनाया है हमने,
जो नहीँ था तक़दीर में
उसको बेपनाह चाहा है हमने.
तक़दीर लिखने वाले
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह,
मगर ख़ामोश रहता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह.
किस्मत को छोड़ सकता नहीं वक़्त के हाथों में,
तक़दीर के संगीत में, मैं साज़ में होता हूँ.
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिसकी तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
दिल गँवा कर भी
मोहब्बत के मज़े मिल न सके,
अपनी खोई हुई तक़दीर पे रोना आया
हाय किस ख़ूबी से लूटा बेवफ़ा तक़दीर ने,
तेरी बर्बादी का अय दिल हर फसाना और है,
कड़ी से कड़ी जोड़ दो तो जंजीर बन जाती हैं,
मेहनत अच्छे से करों तो तकदीर बन जाती हैं.
नाकामी का मकान भी मुम्किन न रहेगा
तक़दीर से मिल कर कोई तदबीर करेंगे
तकदीर बनाने वाले तुमने तो कोई कमी नहीं की,
अब किस को क्या मिला यह मुकद्दर की बात है
क्यों कोसे है तक़दीर को
करता रेह तू अच्छी करनी
सब कुछ हासिल होगा
तुझे बस सोच बदल ले तू अपनी
काश खुदा इक पल दे मुझे
अपनी तक़दीर लिखने को ।
तो में उस पल में,,,,में अपनी
ज़िन्दगी के सारे पल तेरे नाम कर दू
तक़दीर लिखने वाले
वो अयादत को मेरी आये हैं लो और सुनो
आज ही ख़ूबी ए तक़दीर से हाल अच्छा है
अहल-ए-हिम्मत ने हुसूल-ए-मुद्दआ में जान दी
और हम बैठे हुए रोया किये तक़दीर को
नामुमकिन हर ख्वाईश को,
सँभालता और जीता हूँ दिल मे
माथे की तक़दीर को यूँ ही,
ढूंढता हूँ हाथ की लकीर मे
तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक
क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतज़ार में है
तकदीर के खेल से
नाराज नहीं होते |
जिंदगी में कभी
उदास नहीं होते |
हाथों किं लक़ीरों पे
यक़ीन मत करना |
तकदीर तो उनकी भी होती हैं ,
जिन के हाथ ही नहीं होते
तकदीर ने यह कहकर,
बङी तसल्ली दी है मुझे कि, वो लोग
तेरे काबिल ही नहीं थे,जिन्हें मैंने दूर किया है
कुछ तकदीर हार गई !
कुछ सपने टुट गये !
कुछ गैरों ने बर्बाद किया !
कुछ अपने छोड गये
वस्ल भी तक़दीर में है,हिज्र भी
मौत के साए में अब है ज़िन्दगी
कोई वादा ना कर कोई इरादा ना कर
ख्वाहिशो में खुद को आधा ना कर ये देगी
इतना ही जितना लिख दिया खुदा ने
इस तक़दीर से उमींद ज्यादा ना कर
उन्हें देखकर अक्सर ये अहसास होता है
जो तकदीर में नही होता वही खास होता हैं
तक़दीर लिखने वाले
कुछ तकदीर हार गई, कुछ सपने टूट गये
कुछ गैरों ने बर्बाद किया, कुछ अपने छोड़ गये
तकदीर भी इंसान को
क्या-क्या रंग दिखती हैं
शिखर पर पहुँचाने
से पहले हुनर सिखाती हैं
बड़ी मुद्दत से मेरे दिल में एक तस्वीर बैठी है
तेरी जुल्फों के छाँव में मेरी तकदीर बैठी हैं
खुशियाँ तकदीर में होनी चाहिए
तस्वीर में हर कोई मुस्कुराता हैं
वक़्त सिखा देता है इंसान
को फ़लसफ़ा जिन्दगी का
फिर तो, नसीब क्या,
लकीर क्या और तकदीर क्या
तकदीर का खेल बड़ा निराला होता हैं
कभी न कभी तकदीर
से हर कोई हारा होता हैं
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर
तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से
ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
कुछ हार गयी तकदीर कुछ
टूट गए सपने; कुछ गैरों ने
बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने!
वक़्त सिखा देता है इंसान को
फ़लसफ़ा जिन्दगी का,फिर तो, नसीब
क्या, लकीर क्या और तकदीर क्या.
कुछ इस तरह बुनेंगे हम अपनी
तकदीर के धागे, कि अच्छे अच्छो
को झुकना पड़ेगा हमारे आगे.
हमारी रहगुज़र मे देखो कया हम पे
गुजर रही है, हम तो लिख रहे है तक़दीर
मगर जाने कयो हर तस्वीर बदल रही है
तक़दीर लिखने वाले
हाथों की लकीरों पर बराबर विश्वास
नही करना चाहिए तक़दीर तो उनकी
भी होती है जिनके हाथ नही होते
तक़दीर के पन्ने ख़ाली हैं,
और भरे हैं हाथ लकीरों से.
अपने प्यार को देखकर अक्सर
ये एहसास होता हैं, जो तक़दीर में
नहीं होता वही इंसान ख़ास होता हैं
ख़ुदा तूने तो लाखों की तकदीर संवारी है,
मुझे तसल्ली तो दे के अब मेरी बारी है।
मैंने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है,
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्यो नही.
ये तकदीर भी अजीब चीज़ है दोस्तों..
इनके दायरे में बस कमाल होता है
तकदीर भी इंसान को क्या-क्या रंग दिखती हैं,
शिखर पर पहुँचाने से पहले हुनर सिखाती हैं.
इक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए
कड़ी से कड़ी जोङते जाओ तो
जंजीर बन जाती है मेहनत पे
मेहनत करो तो तक़दीर बन जाती है
हर बार मिली है मुझे #अनजानी सी सज़ा,
मैं कैसे पूछूं तकदीर से मेरा कसूर क्या है।
तक़दीर लिखने वाले
तकदीरें बदल जाती हैं जब जिंदगी
जीने का कोई मकसद हो.! वर्ना जिंदगी कट
जाती हे…“तक़दीर ” को इल्जाम देते देते.
देख कर मेरा नशीब मेरी तकदीर रोने लगी
लहू के अल्फाज़ देखकर तहरीर रोने लगी
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई
सूरत को देखकर खुद तस्वीर रोने लगी
तकदीर बनाने वाले तुमने तो
कोई कमी नहीं की अब किस को
क्या मिला यह मुकद्दर की बात है
कब हँसा था जो ये कहते हो कि रोना होगा
हो रहेगा मेरी क़िस्मत में जो होना होगा
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं,
किसी ने वक्त गुजारने के लिए अपना बनाया,
तो किसी ने अपना बनाकर ‘वक्त’ गुजार लिया!
क्या पानी पे लिखी थी मेरी
तकदीर मेरे मालिक, हर ख्वाब बह
जाता है, मेरे रंग भरने से पहले ही
तक़दीर लिखने वाले एक एहसान कर दे
मेरे दोस्त की तक़दीर में एक और मुस्कान
लिख दे न मिले कभी दर्द उनको
तू चाहे तो उसकी किस्मत मैं मेरी जान लिख दे