Taqdeer Likhne Wali Shayari / तक़दीर लिखने वाली शायरी
Taqdeer Likhne Wali Shayari / तक़दीर लिखने वाली शायरी आज की हमारी ये पोस्ट होने वाली है तक़दीर लिखने के ऊपर वैसे तो सब ही जानते है की तक़दीर लिखी नहीं जाती बनाई जाती है और तक़दीर वही बनाते है जिनके हौसले बुलंद होते है और को मेहन्नत से कभी नहीं डरते दिल लगा कर अपने काम में म्हणत करते है और यही सोच रखते है की हमे कामयाब होना है और अपनी तक़दीर सही बनानी है कुछ लोग मज़ाक में रेह्जा ते है वो कभी नहीं बना सकते अपनी तक़दीर इसलिए ही हमे मेहनत लगन कसे अपने काम को करना है और अपनी तक़दीर खुद ही बनाई है और आज हम भी कुछ इसी तरह की शौयरी पोस्ट कर रहे है हमारी इस शायरी का यही मोटिव है की आप अपने काम में भी रहो और शायरी के अंदाज़ में अपनी म्हणत को अपने लोगो तक पोहचते रहो आज हम तक़दीर लिखने वाली शायरी अपने दोस्तों के लिए लाये है और अपनी म्हणत को इंजॉय करो तो मेहनत मेहनत नहीं लगती और काम भी हो जाता है चलो फिर चलते है तक़दीर लिखने वाली शायरी देखते है और शायरी का पूरा पूरा मज़ा लेते है और ऐसे ही हमने आप के लिए और भी बहुत टाइप की शायरिया पोस्ट की हुई है जैसे Painful Shayari In Hindi जिनसे आप अपने मोबाइल पे तरह तरह के स्टेटस और स्टोरी भी लगा सकते है
Taqdeer Likhne Wali Shayari / तक़दीर लिखने वाली शायरी
तकदीर लिखने वाले एक एहसान लिख दे,
मेरी मोहब्बत की तकदीर में मुस्कान लिख दे,
ना मिले ज़िन्दगी में कभी भी दर्द उसको,
चाहे उसकी किस्मत में मेरी जान लिख दे।
जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते,
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते।
आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे
चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर,
कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।
पहले ज़मीं बँटी फिर घर भी बँट गया,
इंसान अपने आप में कितना सिमट गया।
दिल के मंदिरों में कहीं बंदगी नहीं करते,
पत्थर की इमारतों में खुदा ढूंढ़ते हैं लोग।
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी,
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीं रही,
मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करते हैं।
उस ने हमारे ज़ख्म का कुछ यूँ किया इलाज़,
मरहम भी ग़र लगाया तो काँटों की नोंक से।
दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो,
कुछ तो रहने दो मेरी ज़ात पे एहसान अपना।
Taqdeer Likhne Wali Shayari / तक़दीर लिखने वाली शायरी
खामोशी से बिखरना आ गया है,
हमें अब खुद उजड़ना आ गया है,
किसी को बेवफा कहते नहीं हम,
हमें भी अब बदलना आ गया है,
किसी की याद में रोते नहीं हम,
हमें चुपचाप जलना आ गया है,
गुलाबों को तुम अपने पास ही रखो,
हमें कांटों पे चलना आ गया है।
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर,
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती।
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना,
कभी मिलने की हसरत कभी देखने की तमन्ना।
दस्त-ए-तक़दीर से हर शख्स ने हिस्सा पाया,
मेरे हिस्से में तेरे साथ की हसरत आई।
ज़माने के सवालों को मैं हँस के ताल दूं फ़राज़,
लेकिन नमी आँखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो।
अब उसे रोज सोचो तो बदन टूटता है फ़राज़,
उम्र गुजरी है उसकी याद नशा करते करते।
हसीं यादों के कुछ मौसम उसे अरसाल करने है फ़राज़,
सुना है शब को तन्हाई उसे सोने नहीं देती
Hasi Yaado Ke Kuch Mosam Use
चाँद निकलेगा तो लोग दुआ मांगेंगे,
हम भी अपने मुकद्दर का लिखा मांगेंगे,
हम तलबगार नहीं दुनिया की दौलत के,
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे।
तुम दुआ हो मेरी सदा के लिए,
मै जिंदा हूँ तुम्हारी दुआ के लिए,
कर लेना लाख शिकवे हमसे,
मगर कभी खफा न होना खुदा के लिए।
अगर कल फुर्सत न मिली तो क्या होगा,
इतनी मोहलत न मिली तो क्या होगा,
रोज़ कहते हो कल मिलेंगे कल मिलेंगे,
कल मेरी आँखे न खुली तो क्या होगा।
तकदीर लिखने वाले एक एहसान लिख दे,
मेरी मोहब्बत की तकदीर में मुस्कान लिख दे,
ना मिले जिंदगी में कभी भी दर्द उसको,
चाहे उसकी किस्मत में मेरी जान लिख दे ।
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि
हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे
बता तेरी रज़ा क्या है~इक़बाल
अपने प्यार को देख कर
अक्सर ये एहसास होता है,
जो तक़दीर में नहीं होता
वही इंसान ख़ास होता है.
देख कर मेरा नशीब मेरी तकदीर रोने लगी
लहू के अल्फाज़ देखकर तहरीर रोने लगी
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई
सूरत को देखकर खुद तस्वीर रोने लगी
चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे
शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली
तेरे दामन में गुलिस्तान भी हैं वीराने भी,
मेरा हासिल मेरी तकदीर बता दे मुझको.
Tere Daman Me Gulstaan Hai
टूट कर चाहने वालो के दिल क्यों टूटते हैं ….
इश्क की राहों में ही ज्यादा कांटे क्यों मिलते हैं !
जिनके दिल मिलते हैं …..
उनके तकदीर क्यों नही मिलते हैं !!
राहों में सिर्फ पत्थर ही क्यों मिलते हैं ….
एक पल की ख़ुशी के लिए तड़प जाते वो हैं !!!
उन्हें बहाने के लिए सिर्फ आंसू मिलते हैं ….
प्यार के फूल तो उनके लिए बागों में भी नही खिलते हैं
तक़दीर लिखने वाले एक एहसान कर दे
मेरे दोस्त की तक़दीर में एक और मुस्कान लिख दे
न मिले कभी दर्द उनको
तू चाहे तो उसकी किस्मत मैं मेरी जान लिख दे
तक़दीर के आईने में मेरी तस्वीर खो गई आज
हमेशा के लिए मेरी रूह सो गई मोहब्बत
करके क्या पाया मैंने वो कल मेरी थी
आज किसी और की हो गई…
मुझे मालूम है मेरा मुक़द्दर तुम नहीं,
लेकिन मेरी तक़दीर से
छुप कर मेरे इक बार हो जाओ.
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर ‘वक़्त’ गुजार लिया!
प्यार की कली सबके लिए खिलती नहीं
चाहने पर हर एक चीज मिलती नहीं
सच्चा प्यार किस्मत से ही मिलता है
और हर किसी को ऐसी तकदीर मिलती नहीं
मुझे मालूम है
मेरा मुक़द्दर तुम नहीं… लेकिन….
मेरी तक़दीर से छुप कर
मेरे इक बार हो जाओ..!
ये तकदीर भी अजीब चीज़ है दोस्तों..
इनके दायरे में बस कमाल होता है
किसी की तकदीर अगर रूठ जाये
उसको कोई भी किनारा नहीं मिलता
गैरों की बात ही छोड़ो दोस्तों
अपनों का भी सहारा नहीं मिलता
कड़ी से कड़ी जोङते
जाओ तो जंजीर बन जाती है,
मेहनत पे मेहनत करो
तो तक़दीर बन जाती है
Bast Taqdeer Likhne Wali Shayari
सांसों में बगावत का सुख़न बोल रहा है,
तक़दीर के फ़र्ज़ंद का दिल डोल रहा है.
ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भी!
फर्क तो रंगों का है!
मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर;
और अनजाने रंगों से बने तो तकदीर!
मेरी मोहब्बत की तक़दीर देखो
जो रूठे थे उनके पैगाम आ रहे हैं
जब मार डाला मेरी प्यास ने मुझको
वो आँखों में लेकर जाम आ रहे हैं
हमारी रहगुज़र मे देखो
कया हम पे गुजर रही है ,
हम तो लिख रहे है तक़दीर
मगर जाने कयो हर तस्वीर बदल रही है
कभी जो मुझे हक मिला
अपनी तकदीर लिखने का
कसम खुदा की तेरा नाम
लिख कर कलम तोड़ दूंगा
लिखी खुदा ने मोहब्बत सबकी तक़दीर में,
हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई.
तक़दीर के पन्ने ख़ाली हैं
औरभरे हैं हाथ लकीरों से.
वो मुझे, हर जगह मिला,
एक मेरी, तकदीर के सिवा.
क्या गजब की तकदीर पायी है
उस इंसान ने
जिसने तुझसे मोहोब्बत भी नही की
और तुझे पा लिया .
ये बात और है
के तक़दीर लिपट के रोई वरना
बाज़ू तो हमनें तुम्हे देख कर ही फैलाए थे
Kuch Is Tarha Se Banege
“कुछ इस तरह से बुनेंगे
हम अपनी तक़दीर के धागे,
की अच्छे अच्छो को
झुकना पड़ेगा हमारे आगे.
क्या पानी पे लिखी थी
मेरी तकदीर मेरे मालिक,
हर ख्वाब बह जाता है,
मेरे रंग भरने से पहले ही…
इश्क करना तो लगता है जैसे
मौत से भी बड़ी एक सजा है
क्या किसी से शिकायत करें हम
जब अपनी तकदीर ही बेवफा निकली
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो “तक़दीर” लेकर आता है.
प्यार तो तकदीर में
लिखा होता है…
किसी के लिए तड़पने से
कोई अपना नहीं होता है,
कुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपने;
कुछ गैरों ने बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने!
कुछ इस तरह बुनेंगे हम अपनी तकदीर के धागे,
कि अच्छे अच्छो को झुकना पड़ेगा हमारे आगे.
कितने मज़बूर है हम तकदीर के हाथो..
ना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ,
और ना तुम्हे खोने का हौसला.
मेरी झोली मे कुछ
अल्फ़ाज़ दुआ के डाल दो
क्या पता तुम्हारे लब हिले
और मेरी तक़दीर संवर जाऐ
तेरे दामन में गुलिस्ता भी है, वीराने भी
मेरा हासिल मेरी तक़दीर बता दे मुझको
तक़दीर लिखने वाली शायरी
तकदीर लिखने वाले एक एहसान लिख दे,
मेरे प्यार की तकदीर में मुस्कान लिख दे,
ना मिले जिंदगी में कभी भी दर्द उसको,
चाहे उसकी किस्मत में मेरी जान लिख दे।
तक़दीर ने हमें आज़माया बहुत
हमने उसे मनाया बहुत
जिसकी ज़िंदगी ख़ुशियों से
सजा दी उसी शख़्स नें हमें रुलाया बहुत
जहाँ जहाँ लिखीं मेरी किरदार में ज़िल्लतें…
वहीँ वहीँ लिए फिरती है ये तक़दीर मुझे
वो अपनी निगाहों से हमें मार गये,
हम तकदीर की अदाकारी से हार गये.
वक़्त मेरी तबाही पे हँसता रहा बार बार,
नजाने रंग मेरी तकदीर क्या क्या बदलती रही.
मेहरबानी जाते-जाते मुझपे कर गया
गुज़रता सा लम्हा एक दामन भर गया
तेरा नज़ारा मिला, रौशन सितारा मिला
तक़दीर की कश्तियों को किनारा मिला
मैं तेरे नसीब की बारिस नहीं
जो तुज पे बरस जाऊ।।
तुझे तक़दीर बदल नि
होगी मुझे पाने के लिए
तेरे दामन में गुलिस्तां भी है वीराने भी,
मेरा हासिल मेरी तकदीर बता दे मुझको.
अपनी तक़दीर की आजमाइश ना कर
अपने गमो की नुमाइश ना कर
जो तेरा है तेरे पास खुद आएगा
रोज रोज उसे पाने की ख्वाहिश ना कर
हाथों की लकीरों पर
बराबर विश्वास नही करना चाहिए
तक़दीर तो उनकी भी
होती है जिनके हाथ नही होते
नाकामी का इमकान भी मुम्किन ना रहेगा,
तक़दीर से मिल कर कोई तदबीर करेंगे.
Meri Taqdeer Me Kabhi Koi Gaum Na Ho
गिरा है टूट कर शायद मेरी तक़दीर का तारा
कोई आवाज़ आई थी शिकस्त-ए-जाम से पहले
आँसूओ की बूंदों से तेरी तस्वीर बना दूँ
तू एक बार पलट के देखले
तुजे अपनी तक़दीर बना दूँ
फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में; फर्क होता है
किस्मत और लकीर में; अगर कुछ चाहो और
न मिले तो समझ लेना;
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
वक़्त से लड़ कर जो अपना नसीब बदल दे
इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे
कल क्या होगा कभी न सोचो
क्या पता कल वक़्त खुद अपनी तस्वीर बदल ले
बिन माँगे मिल जाए मोती
तो इस को तक़दीर कहो
दामन फैला कर दुनिया
मिल जाए तो ख़ैरात हुई
तक़दीर का ही खेल है सब,
पर ख़्वाहिशें है की समझती ही नहीं.
इक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए
गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे
क्या इनसे किसी कौम
की तक़दीर बदल दोगे
मैंने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है,
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्यो नही.
घर का बोझा उठाने वाले
बचपन की तक़दीर न पूछ,
बच्चा घर से काम पे निकला,
और खिलौना टूट गया।
तक़दीर को कुछ इस तरह
से अपनाया है हमने,
जो नहीँ था तक़दीर में
उसको बेपनाह चाहा है हमने.
Tum The Nahi Kahi Par Magar
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह,
मगर ख़ामोश रहता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह.
किस्मत को छोड़ सकता नहीं वक़्त के हाथों में,
तक़दीर के संगीत में, मैं साज़ में होता हूँ.
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिसकी तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
दिल गँवा कर भी
मोहब्बत के मज़े मिल न सके,
अपनी खोई हुई तक़दीर पे रोना आया
हाय किस ख़ूबी से लूटा बेवफ़ा तक़दीर ने,
तेरी बर्बादी का अय दिल हर फसाना और है,
कड़ी से कड़ी जोड़ दो तो जंजीर बन जाती हैं,
मेहनत अच्छे से करों तो तकदीर बन जाती हैं.
नाकामी का मकान भी मुम्किन न रहेगा
तक़दीर से मिल कर कोई तदबीर करेंगे
नाकामी का मकान भी मुम्किन न रहेगा
तक़दीर से मिल कर कोई तदबीर करेंगे
क्यों कोसे है तक़दीर को
करता रेह तू अच्छी करनी
सब कुछ हासिल होगा
तुझे बस सोच बदल ले तू अपनी
काश खुदा इक पल दे मुझे
अपनी तक़दीर लिखने को ।
तो में उस पल में,,,,में अपनी
ज़िन्दगी के सारे पल तेरे नाम कर दू
वो अयादत को मेरी आये हैं लो और सुनो
आज ही ख़ूबी ए तक़दीर से हाल अच्छा है
Kadi Se Kadi Jodte jao To Janjeer Ban jati Hai
अहल-ए-हिम्मत ने हुसूल-ए-मुद्दआ में जान दी
और हम बैठे हुए रोया किये तक़दीर को
नामुमकिन हर ख्वाईश को,
सँभालता और जीता हूँ दिल मे
माथे की तक़दीर को यूँ ही,
ढूंढता हूँ हाथ की लकीर मे
तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक
क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतज़ार में है
तकदीर के खेल से
नाराज नहीं होते |
जिंदगी में कभी
उदास नहीं होते |
हाथों किं लक़ीरों पे
यक़ीन मत करना |
तकदीर तो उनकी भी होती हैं ,
जिन के हाथ ही नहीं होते |
तकदीर ने यह कहकर,
बङी तसल्ली दी है मुझे कि, वो लोग
तेरे काबिल ही नहीं थे,जिन्हें मैंने दूर किया है
कुछ तकदीर हार गई !
कुछ सपने टुट गये !
कुछ गैरों ने बर्बाद किया !
कुछ अपने छोड गये
कोई वादा ना कर कोई इरादा ना कर
ख्वाहिशो में खुद को आधा ना कर ये देगी
इतना ही जितना लिख दिया खुदा ने
इस तक़दीर से उमींद ज्यादा ना कर