तुम महफ़ूज़ हो,
मेरी यादों में,
तुम, बात करते हो।
तुम्हारे सब गिले-शिकवे,
तुम, फ़रियाद करते हो।
तुम्हारे लब्ज़ ख़ामोशी,
से, कुछ कहते रहते है ।
तुम महफ़ूज़ हो,
मेरी बातों में,
तुम, बात करते हो।
हमें याद है मौसम वो,
जब तुमने बुलाया था,
हमारी याद के साये में,
तुमने हमें भुलाया था।
तुम महफ़ूज़ हो,
मेरी रातो मे,
तुम बात करते हो।
तुम महफ़ूज़ हो,
मेरी यादों में,
तुम बात करते हो।
– प्रयास गुप्ता।
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