Tumbadal Gaye ho shayari / तुम बदल गए हो शायरी

Tumbadal Gaye ho shayari / तुम बदल गए हो शायरी जब हम किसी से दिल से और सच्ची मोहब्बत करते है और हमे उसके सिवा किसी को कुछ नहीं समझते हमे उनसे भी इसी तरह की मोहब्बत की उम्मीद होती है और साथ ही हम कुछ वादे भी करते है और फिर जब वो बदल जाता है तो हमे बहुत तकलीफ होती है हमारी दुनिया सी बदल जाती है हमे कुछ समझ नहीं आता जब वो हमे छोड़ कर चले जाते है और जो वादे किये थे वो भी भूल जाते है ऐसे में हमे कोई कुछ समझता है कोई कुछ लेकिन हमे तो उन से कुछ और ही उम्मीद होती है लेकिन वो हमारी मोहब्बत का सिला बेवफा बन कर देते है फिर वह हमारी मोहब्बत से यू ही अचानक मुँह मोड़ लेते है और बदल जाते है
फिर हमारे दिल पर कभी न भरने वाले ज़ख्म तैयार हो जाते है उन्ही ज़ख्मो को हम नया रखते है बदलाव शायरी से और आज यही बात हमे समझ आती है और हम भी आज यही सोच कर ये बदल जाये शायरी पोस्ट कर रहे है

प्यार में जब हमारा साथी अचानक बिच सफर में ही बदल जाए, तो दिल को जिस दर्द से गुजरना पड़ता है, उसी को इन बदल जाना शायरी के जरिये हमारी शायरी पढ़ कर सुनकर आपको अपने बेवफा यार की याद जरूर आएगी!

Tumbadal Gaye ho shayari / तुम बदल गए हो शायरी

tum badal gaye

तुम्हारी तलाश में निकलूँ भी तो क्या फायदा..?
तुम बदल गए हो, खो गए होते तो और बात थी।

फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मत-ए-शब,
जब अपने घर के चरागों से रोशनी न मिली।

तुझे फुर्सत ही न मिली मुझे पढ़ने की वरना,
हम तेरे शहर में बिकते रहे किताबों की तरह।

अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर,
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती।

राह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थी,
दो कदम ही चले थे कि हर कदम पे रो पड़े।

में कुछ न कहूं
और तुम समझ जाना
में कहूंगी ” हां ठीक हूं में”
तुम भागे चले आना ।

ना वक्त बदला
ना में बदली
ना ही बदले जज़्बात मेरे
पर न जाने क्यों तुम बदल गए।

हम सब किरदारों में अटके हैं
किरदार जो किसी के सपने हैं
तो किसी के अपने हैं
और इन्ही सपनो और अपनो में
हम अटके हैं ।

मेरे जिंदगी के कुछ किस्से हैं
जो हिस्से बन गए हैं
मेरी जिंदगी के कुछ हिस्से हैं
जो अब किस्से बन गए हैं

तू करीब है
और है भी नहीं
तेरा होना ना होना एक जैसा
तू जैसा मेने समझा है नही वैसा

Tumbadal Gaye ho shayari / तुम बदल गए हो शायरी

log kehte hai

रंग हैं हजारों
हजारों हैं ख्वाहिशें
इन रंगों में कुछ ख्वाहिशें
ख्वाहिशें भी रंगों जैसे “हजारों”

में चुप रहूं और तू समझ जाना
में कहूं हां ठीक हूं तू चले आना
चले आना और कहना क्यों चुप हो तुम
क्यों हैं तुम्हारे चेहरे की खुशी कहीं गुम।

एक सवाल है और उसका जवाब जिंदगी
एक सपना है और सफर जिंदगी
ये ज़िंदगी ही तो है जिसने हमें जिंदा रखा है।

जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा
ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा

तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ
के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा

यही जगह जहाँ हम आज मिल के बैठे हैं
इसी जगह पे ख़ुदा जाने कल को क्या होगा

बिछड़ने वाले तुझे देख देख सोचता हूँ
तू फिर मिलेगा तो कितना बदल गया होगा।

तेरी पहचान ही न खो जाये कहीं….
इतने चहरे भी न बदलो थोड़ी शोहरत के लिए….

खुले आसमान में वो चमकता हुआ चांद,
ओर दिल मे जगा हुआ प्यार,
कभी कम तो कभी ज्यादा होता रहता है।

दिल में घाव सा कर जाती हैं … उनकी निगाहें ..
मुड़ मुड़ के देखने वाले … जब देख कर मुड़ जाते हैं ..

Tumbadal Gaye ho shayari / तुम बदल गए हो शायरी

naseeb se zada

जिंदगी के अफसाने भी क्या लिखू यारो ,
छोड के वो जा रहे है जो जिंदगी बन गए थे !!

अहमियत दी तो खुद को कोहिनूर 💎 मानने लगे,
काँच के टुकड़े भी क्या खूब वहम पालने लगे।

खुद के लिए एक सजा चुन ली मैंने,
तेरी खुशियों की खातिर तुझसे दूरियां चुन ली मैंने।

वक़्त वक़्त
की बात है साहिब कल सुबह जो रंग थे
अब वो दाग हो गयेl

रेल में खिड़की के पास बैठ के हर दफ़ा महसूस हुआ है;
जो जितना क़रीब था वो उतनी तेजी से दूर हुआ है..!!

पहले तो बहुत शौक था मेरा हाल पूछने का तो बताओ,
अब क्या हुआ हम वो नहीं रहे या दिन वो नहीं रहे।

उम्र बिना रुके सफर कर रही है ,
और हम ख़्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं।

साथ बिताई….. तेरे संग… वो शाम ……सुहानी जिंदा है …..
होंठ भले सूखे हो… फिर भी, ……आँख मे पानी जिंदा है….

अब बनायें हम खुद को,
तेरे प्यार के काबिल….
जब जब हम आदतें बदलतें हैं,
तब तुम अपनी शर्तें बदल देते हो

तुम बदल गए हो शायरी

Tum Badal Gaye ho shayaria

विश्वास बनके लोग जिन्दगी में आते हैं,
ख्वाब बनके आंखों में समां जाते हैं,
पहले खुद यकीन दिलाते हैं कि हम तुम्हारे हैं,
फिर ना क्यों कुछ ही पलों में बदल जाते हैं।

मेरे कदमों के नीचे उस वक्त जमीन
खिसक गई,😳🙄
जब जाना वो बिन चेहरे बदले ही
बदल गई। 🙁😟

मैं इतनी छोटी कहानी भी न था,
बस तुम्हे जल्दी थी किताब बदलने की।

दुआएं मांगी थी आशियाने की,
चल पड़ी आंधी जमाने की,
मेरे दिल का दर्द कोई नहीं समझ पाया,
क्योंकि मेरी आदत है मुस्कुराने की

मत दूर जाना कभी हमसे इतना
कि वक्त के फैसले पर अफसोस हो
क्या पता फिर कभी तुम लौट कर आओ
और ये जिस्म मिट्टी में खामोश हो

ना रोने का मन करता है और ना ही हसने का मन करता है
जिंदगी ऐसी चल रही है कि अब तो बस मरने को मन करता है

कभी कभी किसी इंसान से
इतना लगाव हो जाता है कि
जब उससे बात ना हो तो दिन क्या
जिंदगी भी अच्छी नहीं लगती

लोग कहते हैं दु:ख बुरा होता है जब भी आता है
रुलाकर जाता है
लेकिन हम कहते दु:ख अच्छा होता है जब भी
आता है कुछ सीखा कर जाता है

ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बस इतना ही जाना है
दर्द में अकेले हैं खुशियों में ज़माना है

ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है
न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया

तुम बदल गए हो शायरी

Tum Badal Gaye ho shayaria

न जाने किस दरबार का चिराग़ हूँ मैं
जिसका दिल करता है जलाकर छोड़ देता है
हिम्मत नहीं इतनी की दस्ताने ज़िन्दगी सुना सकें अपनी
मुख़्तसर सी सुनो जिसने भी दिल तोड़ा जी भर के तोड़ा

कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम्हें उलझा सा लगता हूं
मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूं

जरूरी तो नहीं हम साथ हैं तो कोई चक्कर हो
वो मेरे दोस्त है और मैं उसे बस अच्छा लगता हूं

क्या ख़बर कौन था वो, और मेरा क्या लगता था
जिससे मिलकर मुझे, हर शख़्स बुरा लगता था

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा

मुद्दतें गुज़र गयी ‘हिसाब’ नहीं किया
न जाने अब किसके कितने रह गए हम
लहजे में खनक बात में दम है तो करम है
गर्दन दर-ए-हैदर पे जो ख़म है तो करम है

मत सोच कि इस घर पे करम है तो अलम है
दरअस्ल तेरे घर पे अलम है तो करम है

बिस्तर पे कमर ठीक नहीं लगती तो ख़ुश हो
ख़ुराक भी ऐ यार जो कम है तो करम है

बे-निस्बत-ओ-बे-इश्क कहाँ मिलती है इज़्ज़त
मुझ पे मेरे मौला का करम है तो करम है

मुंकिर की जलन ही में तो मोमिन का मज़ा है
गर ताना-ओ-तश्नी-ओ-सितम है तो करम है

तुम बदल गए हो शायरी

Tum Badal Gaye ho shayaria

अब जब के कोई हाल भी क्यूँ पूछे किसी का
इक आँख मेरे वास्ते नम है तो करम है

अब जब के कोई आँख नहीं रुकती किसी पर
जो कोई जहाँ जिसका सनम है तो करम है

मिदहत का मज़ा भी हो तग़ज़्ज़ुल की अदा भी
कुछ ऐसा सुख़न तुझको बहम है तो करम है

अख़्तर से ग़ज़ल-साज़ों के होते हुए ‘ज़रयून’
थोड़ा सा अगर तेरा भरम है तो करम है

कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम्हें उलझा सा लगता हूं
मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूं

जरूरी तो नहीं हम साथ हैं तो कोई चक्कर हो
वो मेरे दोस्त है और मैं उसे बस अच्छा लगता हूं

काश मिल जाए कोई हम भी, किसी आने की तरह
जो हंस भी साथ और रोये भी साथ

चलो हम गलत थे ये मन लेते हैं ऐ जिंदगी
पर एक बात बता क्या वो सही था
जो बदल गया इतना करीब आने के बाद

मोहब्बत में किसी भी इंसान का बुरा वक्त तब शुरू होता है
जब वो किसी को बोल दे कि मैं आपके बिना नहीं रह सकता

दुआएं मांगी थी आशियाने की,
चल पड़ी आंधी जमाने की,
मेरे दिल का दर्द कोई नहीं समझ पाया,
क्योंकि मेरी आदत है मुस्कुराने की

तुम बदल गए हो शायरी

Tum Badal Gaye ho shayaria

मत दूर जाना कभी हमसे इतना
कि वक्त के फैसले पर अफसोस हो
क्या पता फिर कभी तुम लौट कर आओ
और ये जिस्म मिट्टी में खामोश हो

ना रोने का मन करता है और ना ही हसने का मन करता है
जिंदगी ऐसी चल रही है कि अब तो बस मरने को मन करता है

कभी कभी किसी इंसान से
इतना लगाव हो जाता है कि
जब उससे बात ना हो तो दिन क्या
जिंदगी भी अच्छी नहीं लगती

दूर तक कब साथ चलते है चलने वाले
राहे इश्क़ में ठोकरें खाते है संभलने वाले
ज़माने की रौनकें समेटे रखती है दिन भर
शाम ढले खूब याद आते है बदलने वाले

वक्त नहीं बदलता
किसी की मोहब्बत के साथ..
मगर मोहब्बत अक्सर
बदल जाती वक्त के साथ..

बड़ा पुरनम वो बिछड़ने का नज़ारा था
होंठ कपकपाए थे… नैनों ने पुकारा था
मुझे जान कहने वाला भी बदल गया यारों
उस ज़ालिम के सिवा कौन भला हमारा था

भले प्यार हमसे न करो
लेकिन तुम नहीं बदलना..
चाहें रास्ता हो कांटो भरा
तुम अपनी राह से गुजरना.

मिल गई गहरी चोट जो चाहत से..
बदल गई सोच तुम्हारी मोहब्बत से.

कहां है वो शख्शियत
जो कभी बदलती नहीं..
चलो लाते है ढूंढ कर
अगर मिल जाए कही.

झूठी तेरी मोहब्बत में,
मैं अब संभल गया..
एक अरसे बाद ना मिला
जवाब, तो मैं बदल गया.

तुम बदल गए हो शायरी

Tum Badal Gaye ho shayaria

वो अगर बदल गया तो बदलने दो..
लेकिन तुम अपना प्यार खिलने दो.

न जाने किस तरह
दिल से मेरे उतर गए..
चाहत में मेरी तुम
ना जाने कब बदल गए.

जो शख्स बदल गया
उसे भुला नही जाता..
और दिल में उसी का
चलता रहता खाता.

काश वो बदल जाता इतना
के मुझे याद ही नहीं आता..
पहचान नहीं पाती मैं उसको
काश वो इतना बदल जाता.

दिल रो रहा हैं इतना किसे बताऊं
हाल सुनने वाला जो बदल गया..
कभी था मेरे दिल में बसा हुआ
उसी दिल को तोड़कर चला गया.

हर कहानी पर तेरा नाम
लिखने वाले थे हम..
पर एक आंधी ऐसी आई के
कहानी ही बदल दिए तुम.

जान भी थी हाजिर तेरे लिए
हर मुस्कान कुर्बान थी तेरे लिए..
तुने ही तो बदल दिए रुख हवा के
अब हर सजा कम हैं तेरे लिए.

आप को हमर ये पोस्ट किसी लगी है हमे ख़ुशी होयगी अगर हम आपको आपके हिसाब की शायरी दे सके और हम इसी तरह आपके लिए सभी तरह की शायरी लेट रहेंगे chodkar jane wali shayari

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