Two Line Shayari in hindi
We have posted Two Line Shayari (दो लाइन शायरी) in this category. You can read here a vastest collection of deep meaning short shayaris in 2 line. All new two liner hindi shayari having heart touching sentiments. These small shayaris can be shared on whatsapp and facebook as two line status
Two Line Shayari
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते।
तलब करें तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ,
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं।
बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन,
वो जानता था कि है एहतमाम किसके लिए।
मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया,
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
सितम तो ये है कि ज़ालिम सुखन-सनास नहीं,
वो एक शख्स जो शायर बना गया मुझको।
शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है?
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।
शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है?
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।
फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली,
क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है।
Two Line mohabbat Shayari
हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो,
लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने।
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना।
तेरी खामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है।
अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से,
तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की।
अहमियत यहाँ हैसियत को मिलती है,
हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं।
पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम,
कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी।
सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में,
नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है।
मौजों से खेलना तो सागर का शौक है,
लगती है कितनी चोट किनारों से पूछिये।
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते,
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला?
फासले इस कदर हैं आजकल रिश्तों में,
जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में।
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो,
कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं।
ये कशमकश है कैसे बसर ज़िन्दगी करें,
पैरों को काट फेंके या चादर बड़ी करें।
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको,
हम से मुँह देखकर लहजा नहीं बदला जाता।
इस दौरे सियासत का इतना सा फ़साना है
बस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है।
वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम,
सवाल यह है ज़माना बदल गया कैसे।
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है,
ज़िंदा होने की खबर सबसे छुपा ली है।
बंद मुट्ठी से जो उड़ जाती है क़िस्मत की परी,
इस हथेली में कोई छेद पुराना होगा।
मुझे ऊँचाइओं पर देखकर हैरान है बहुत लोग,
पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे।
अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के,
उतरना दिल में है या दिल से उतरना है।
उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगों की तरह हम,
वक़्त की टहनी पर हैं परिंदों की तरह हम।
सुलझा हुआ सा समझते हैं मुझको लोग,
उलझा हुआ सा मुझमें कोई दूसरा भी है।
तुम्हारा सिर्फ इन हवाओं पे शक़ गया होगा,
चिराग खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा।
कुछ लोग मेरे शहर में खुशबू की तरह हैं,
महसूस तो होते हैं पर दिखाई नहीं देते।
तहज़ीब के खिलाफ हुआ सच का बोलना,
अब झूठ ज़िन्दगी के सलीक़े में आ गया।
सारी फितरत नकाबों में छुपा रखी है,
सिर्फ तस्वीर उजालों में लगा रखी है।