वो फौजी है!
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वो फौजी है!
उसकी हर धड़कन में हिंदुस्तान बसता है।
वहीं यादों में पांच बरस की बेटी।
कभी मा की फोटो को सीने से लगाके सोता है।
तो कभी पत्नी का दिया तावीज पहन के खुश होता है।
जब गांव से चिट्ठी आती है,
तो लिफाफा चूम के रोता है।
वो फौजी है!
नाज है हिंदुस्तान के हर फौजी पर
शिकायत है तो बस इतनी….
ये वादे निभाना नहीं जानता।
मां से कहता है…
वापस आऊंगा तो तुझे
तीरथ कराने ले जाऊंगा।
बहन से कहता है…
हर बार की तरह राखी लिफाफे
में न भेजना
इस बार तो राखी कलाई पर
ही बंधवाऊंगा।
पत्नी से कहता है…
तुम मांग यूंही सजाती रहना,
गजरा बालों में लगाती रहना।
हर बार की तरह होली न होगी बेरंग…
इस बार तो रंग पहले में ही लगाऊंगा।
बच्चों से कहता है…
आज कहानी इतनी ही
बाकी सारी लौटकर सुनाऊंगा।
पिता से कहता है…
ये वादे तो सारे झूठे हैं पापा
पर बेटे का फर्ज तो मरके भी निभाऊंगा।
वापस आना तो नियति है मेरी
चलकर न आ सका,,,तो
तिरंगे में लिपटकर वापस आऊंगा।
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-नम्रता शुक्ला I
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Nice line👌👍
wow ♥️
You’re so good at writing Namrata keep going 👍👍
Bhaavo se ot prot kavita🥺❤
bahutH shii bro…❤🥳
Shivraj Singh
Very nice 👌 👍 super telant. Keep it up. God bless you.
bhavpurn kavita ❤🥺
bahutH shiii bro..❤
बहुत खूब !♥️
Wow excellent
बहुत खूब
शर्त लगी थी खुशियों को, एक ही लफ्ज़
में लिखने की,
वो किताबें ढूढ़ते रह गये,
हमने बेटी लिख दिया |
गनेश शुक्ल
Bohut hi shaandaar❤